जमशेदपुर: नेतागीरी का मतलब अब चेहरा चमकाना रह गया है. नेता छोटा हो या बड़ा, कुछ काम का हो या बेकाम चेहरा दिखना चाहिए. राजनीति में यह रोग पुराना है. लेकिन जमशेदपुर में इन दिनों चेहरा चमकाने का पारा सिर चढ़कर बोल रहा है.
शहर के हर चौक-चौराहे पर अवैध होर्डिग्स, पोस्टर-बैनर नेताओं के विनयशील मुद्रा में देखे जा रहे हैं. इनमें कई सजायाफ्ता अपराधी भी हैं, जो राजनीति का चोला डाले हुए हैं, तो कई छुटभैय्या नेता भी जो राजनीतिक दलों के झंडे ढोते-ढोते अब पोस्टर-बैनर में खुद आसानी से जगह तलाश ले रहे हैं.
बड़े नेताओं के चेहरों के बीच में अपना चेहरा भिड़ा लेने का हुनर ये अच्छी तरह जान गये हैं. कहीं-कहीं इनका चेहरा बड़ा हो जाता है और कद्दावर नेता इन पोस्टर-बैनरों में अपना कद तलाश रहे होते हैं. राजनीतिक दलों में अपनी जगह बना पाना इनके लिए चाहे जितना भी मुश्किल हो, शहर के चौराहों पर जगह बनाना अब मुश्किल नहीं रह गया है. पहले शुभकामनाओं से भरे ज्यादातर होर्डिग बैनर सांसदों, विधायकों या अधिक से अधिक जिला स्तरीय नेताओं के होते थे, वह भी काफी कम जगहों पर. लेकिन अब मंडल या मुहल्ला स्तर के नेता भी बड़े-बड़े होर्डिग में हाथ जोड़े शान से खड़े होते हैं. चौक-चौराहों, गोलचक्कर पर लगे इन पोस्टरों-बैनरों से ट्राफिक की बड़ी समस्या खड़ी होती हैं, वहीं शहर की खूबसूरती पर धब्बा ही नहीं, बल्कि एक सुंदर सा शहर धुमिल सा लगने लगता है.
ऐसा करने में कोई राजनीतिक दल पीछे नहीं है. राजनीतिक दलों ने बैनर-होर्डिग लगाने को लेकर ना तो कोई गाइडलाइन जारी की है और ना ही इनका अपने कार्यकर्ताओं पर कोई लगाम. विभिन्न राजनीतिक कार्यक्रमों के लिए लगाये गये ये प्रचार सामग्री कार्यक्रम खत्म होने के एक-एक महीने बाद तक भी वहीं के वहीं लगे होते हैं. प्रशासन ने हाल के दिनों में खानापूर्ति के नाम पर जेएनएसी एरिया में उसके अधिकारियों ने साकची गोलचक्कर व उसके आसपास कुछ पोस्टर-बैनरों को हटवाया. लेकिन किसी राजनीतिक दल पर कोई कार्रवाई नहीं, सिर्फ प्रचार सामग्री जब्त की गयी (पोस्टर-बैनर आज के समय में सबसे सस्ती प्रचार सामग्री रह गयी है).
प्रशासन एक ओर जहां किसी भी विज्ञापन एजेंसी से शिकायत नहीं मिलने के कारण होर्डिग के अवैध कब्जे को सिरे से खारिज कर देता है वहीं कोई भी विज्ञापन एजेंसी या यहां तक कि शहर की व्यवस्था को बनाये रखने के लिए जिम्मेदार सरकारी और निजी एजेंसियां भी इन राजनीतिक दलों से सीधे-सीधे मुखालफत मोल नहीं लेना चाहती. यानी मामला ढाक के तीन पात. ना कोई शिकायत जायेगी, ना कार्रवाई होगी.
प्रभात खबर ने सभी राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों से इस संबंध में बात की. अधिकांश ने यही कहा कि दूसरे दलों की देखा-देखी उनके दल के लोग भी लगा लेते हैं. अगर प्रशासन सख्ती से रोके तो कोई नहीं लगायेगा.