आदित्यपुर: नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी) जमशेदपुर में 2011 हुए शिक्षकों की अवैध प्रोन्नति मामले में दोषी लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी, इसका फैसला एनआइटी बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी) की बैठक में होगा. बीओजी की बैठक दिल्ली में 19 अप्रैल को होने की संभावना है. सीबीआइ की रिपोर्ट पर कार्रवाई की अनुशंसा के लिए मामले को भट्ट कमेटी को सौंपा गया था. कमेटी की रिपोर्ट आ गयी है. उक्त बैठक में कमेटी की रिपोर्ट को बंद लिफाफे से निकाल बीओजी के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा. सभी को बीओजी के फैसले का इंतजार है, क्योंकि इससे मामले की सीबीआइ जांच की उपयोगिता भी साबित होगी.
18 रिमाइंडर दिये गये
सीबीआइ जांच में दोषी पाये गये लोगों के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई के लिए एनआइटी जमशेदपुर प्रबंधन को 18 रिमाइंडर भेजे गये. इनमें तीन सीबीआइ के और 15 एमएचआरडी के रिमांइडर शामिल हैं.
दो आरोपी होंगे सेवानिवृत्त प्रोन्नति मामले में गड़बड़ी के लिए सीबीआइ द्वारा दोषी पाये गये आठ लोगों में संस्थान के दो ऐसे भी शिक्षक हैं जो 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त होने वाले हैं.
सीबीआइ जांच में हुई घोटाले की पुष्टि
शिक्षकों को प्रोन्नति दिये जाने के मामले में सीबीआइ को जांच के दौरान कई साक्ष्य हाथ लगे, जिससे घोटाले की पुष्टि हुई. इस मामले में सीबीआइ की एंटी करप्शन ब्रांच रांची ने 30 सितंबर 2014 को एनआइटी के संचालक मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) भारत सरकार के मुख्य सतर्कता अधिकारी को जांच रिपोर्ट व अपनी अनुशंसा सौंप दी थी. इसमें प्रो रजनीश श्रीवास्तव, आइआइटी रूड़की के प्रो दीपक खरे व एनआइटी जमशेदपुर के तीन शिक्षकों के खिलाफ मेजर पेनल्टी करने तथा यहां के अन्य तीन शिक्षकों पर माइनर पेनल्टी की अनुशंसा की थी.
भट्ट कमेटी पर एक नजर
एमएनआइटी भोपाल द्वारा इसी तरह की गड़बड़ी वाले में मामले में कार्रवाई हेतु भट्ट कमेटी का गठन किया गया था. इस कमेटी में एनआइटी जयपुर के निदेशक आइके भट्ट अध्यक्ष तथा एमएचआरडी के सेवानिवृत्त निदेशक फाइनेंस नवीन सोन व अंडर सेक्रेट्री केएस महाजन सदस्य थे.