जमशेदपुर: शहर के प्राइवेट स्कूलों में भी सरकारी स्कूल की तर्ज पर एसएमसी (स्कूल मैनेजिंग कमेटी) का गठन किया जायेगा. इस कमेटी में कुल 16 सदस्य शामिल होंगे, जिनमें सिर्फ स्कूल प्रबंधन से जुड़े लोग ही नहीं, अभिभावकों और विद्यार्थियों का पक्ष रखने के लिए बाल संसद के एक सदस्य को भी शामिल करना होगा. उपायुक्त डॉ अमिताभ कौशल ने डीएसइ अभय शंकर को इस संबंध में निर्देश दिया है.
उन्होंने डीएसई से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सरकारी मदद पाने वाले निजी स्कूलों में तत्काल स्कूल मैनेजिंग कमेटियों का गठन सुनिश्चित कराने को कहा है. उन्होंने ऐसे प्राइवेट स्कूलों की सूची बनाने का भी निर्देश दिया है. अब डीएसई के स्तर से इसके दायरे में आने वाले सभी निजी स्कूलों को नोटिस भेज कर वहां मैनेजिंग कमेटियों का गठन कराया जायेगा. भविष्य में स्कूल से संबंधित अधिकांश फैसले उक्त कमेटी द्वारा ही लिये जायेंगे.
किन स्कूलों पर नहीं होगा लागू
यह आदेश उन स्कूलों पर लागू नहीं होगा, जिनके पास अपनी जमीन है. शहर में किसी भी प्राइवेट स्कूल को कोई सरकारी अनुदान नहीं मिलता, लेकिन कई स्कूल ऐसे हैं जो टाटा लीज की जमीन पर अवस्थित हैं. सरकार की ओर से टाटा को सस्ती दर पर जमीन लीज की गयी थी. इस तरह ऐसे स्कूल परोक्ष रूप से सरकारी जमीन का ही इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे में शहर के लगभग सभी प्रतिष्ठित स्कूल इस नियम के दायरे में आ जाते हैं. टाटा लीज क्षेत्र से बाहर के स्कूलों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है.
लॉटरी पर अब तक नहीं हुई है बैठक
शहर के निजी स्कूलों में दाखिले की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. 19 जनवरी को शहर के सभी स्कूलों में लॉटरी का रिजल्ट जारी किया जायेगा. जिला प्रशासन हर वर्ष लॉटरी से पहले लॉटरी में प्रयुक्त होने वाले सरस सॉफ्टवेयर की जांच की जाती थी. पिछले साल हुई जांच में सॉफ्टवेयर से लॉटरी में छेड़छाड़ संभव होने की बात भी सामने आयी थी. उधर निजी स्कूलों ने इस बार भी सरस से ही लॉटरी कराने की घोषणा की है. हालांकि दाखिले की प्रक्रिया क्या होगी, किन लोगों के समक्ष लॉटरी की जायेगी, लॉटरी की मॉनीटरिंग कैसे होगी, इस संबंध में जिला प्रशासन ने अब तक न तो कोई बैठक बुलाई है और न ही कोई निर्देश ही जारी किया है. इससे अभिभावकों में असमंजस की स्थिति है.