आदिवासी भूमि वापसी के 38 मामले लटके

जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम में छोटानागपुर कश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट) के तहत आदिवासी भूमि वापसी के तीन दर्जन से ज्यादा मामले लंबित हैं. केवल धालभूम अनुमंडल में आदिवासी भूमि वापसी के (पहली मार्च 2016 तक) 38 मामले लंबित हैं, इनमें 32 मामले जनवरी 2015 तक के है, शेष छह नये मामले हैं. 18 मामलों में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 3, 2016 7:22 AM

जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम में छोटानागपुर कश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट) के तहत आदिवासी भूमि वापसी के तीन दर्जन से ज्यादा मामले लंबित हैं. केवल धालभूम अनुमंडल में आदिवासी भूमि वापसी के (पहली मार्च 2016 तक) 38 मामले लंबित हैं, इनमें 32 मामले जनवरी 2015 तक के है, शेष छह नये मामले हैं.

18 मामलों में फैसला हो गया है. इससे 0.87 एकड़ जमीन अादिवासी को वापस हो जायेगी. उक्त फैसले के बाद अंचलाधिकारी के स्तर से भूमिक पर दखल दिहानी की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. वहीं लंबित 38 मामलों की सुनवाई डीसीएलआर कोर्ट में चल रही है. गौरतलब हो कि मंगलवार को मुसाबनी अंचल के अंतर्गत जादूगोड़ा बाजार के मध्य स्थित लछु उरांव से जुड़े तीन मामलों में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जन संवाद कार्यक्रम में आदिवासी भूमि वापसी अौर जमीन पर दखल दिहानी के लिए कार्रवाई करने का आदेश दिया है.

अब वकील को मिलेगा केस लड़ने का पैसा

सीएनटी एक्ट के तहत आदिवासी भूमि वापसी का मुकदमा लड़ने वाले वकीलों को सरकार केस की फीस देगी. इस संबंध में पुराने नियम में संशोधन किया गया है. पहले आदिवासी भूमि वापसी का केस लड़ने में पीड़ित आदिवासी को पैसा मिलता था. फिर पीड़ित वकील को उसके केस की फीस देता था. इधर, धालभूम अनुमंडल में डीसीएलआर ने 56 में से 18 मामले, जिनका फैसला आदिवासी के पक्ष में हो गया है. उनके सीधे भुगतान उचित तरीका के लिए सरकार से मंतव्य मांगा है. चूंकि उक्त भुगतान में हाल में नियम में संशोधन हुआ है.

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