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मानवाधिकार आयोग को भेजी गयी टस्किो गेट पर फायरिंग की जांच रिपोर्ट

मानवाधिकार अायोग को भेजी गयी टिस्को गेट पर फायरिंग की जांच रिपोर्ट – लेट से कंपनी ने दी सूचना, बिना मजिस्ट्रेट के हुई फायरिंग संवाददाता, जमशेदपुरटाटा स्टील के बर्मामाइंस गेट पर 24 दिसंबर 2012 को हुई फायरिंग की जांच रिपोर्ट एसडीओ आलोक कुमार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेज दी है. रिपोर्ट में बताया गया […]

मानवाधिकार अायोग को भेजी गयी टिस्को गेट पर फायरिंग की जांच रिपोर्ट – लेट से कंपनी ने दी सूचना, बिना मजिस्ट्रेट के हुई फायरिंग संवाददाता, जमशेदपुरटाटा स्टील के बर्मामाइंस गेट पर 24 दिसंबर 2012 को हुई फायरिंग की जांच रिपोर्ट एसडीओ आलोक कुमार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेज दी है. रिपोर्ट में बताया गया कि घटना सुबह करीब सवा आठ बजे घटी, लेकिन पुलिस प्रशासन को घटना की सूचना सवा घंटे लेट से कंपनी की ओर से दी गयी. बिना मजिस्ट्रेट की तैनाती के फायरिंग की गयी. समय पर प्रशासन को घटना की जानकारी दी जाती, तो घटना को रोका जा सकता था. एसडीओ आलोक कुमार ने सीसीटीवी, घायल हुए तीन-चार मजदूर, कुछ स्वंतत्र गवाह, पुलिस की ओर से सौंपी गयी चार्जशीट रिपोर्ट और घटना स्थल का निरीक्षण के उपरांत रिपोर्ट तैयार की. गौरतलब हो कि बर्मामाइंस गेट पर ठेका कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हुई हिंसक झड़प में टाटा स्टील के सुरक्षाकर्मियों ने फायरिंग की. इसमें पांच ठेका मजदूर, एक प्रेस फोटोग्राफर सहित कंपनी के 15 सुरक्षाकर्मी घायल हुए थे. उग्र मजदूरों ने दर्जनों वाहनों को आग लगा दी थी. मानवाधिकार ने मांगी थी रिपोर्ट मानवाधिकार आयोग ने जिला प्रशासन से पूरे मामले की मजिस्ट्रेट से जांच कर रिपोर्ट मांगी थी. जेएचआरसी प्रमुख मनोज मिश्रा ने मामले को मानवाधिकार अायोग के समक्ष रखा था. राइफल छीना झपटी में चली गोली कंपनी की ओर से जांच पदाधिकारी के समक्ष बताया गया कि सुबह आठ बजे कर्मचारियों को कंपनी में ले जाने की प्रक्रिया शुरू हुई. इसके 15 मिनट बाद ही किसी ने भीड़ को उकसाया. इसके बाद ठेका कर्मचारियों ने पथराव शुरू कर दिया. जब कंपनी गेट बंद कर दिया गया, तो कुछ लोग फांद कर अंदर आने लगे. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पहले हवाई फायरिंग की गयी. कुछ लोगों ने राइफल छीना झपटी कोशिश की. इस दौरान छिना झपट्टी में गोली चली. जिससे कुछ लोग घायल हुए. क्या थी घटना घटना के दिन टाटा स्टील के ठेका मजदूरों को साइकिल से कंपनी के अंदर जाने से रोक दिया गया था. इस नियम की पूर्व सूचना नहीं देने से कामगार जब सुबह ड्यूटी करने पहुंचे, तो अचानक उन्हें नये नियम की जानकारी मिली. मजदूरों को पैदल जाने और फिर बस से कार्य स्थल पर ले जाने की बात कहे जाने से उस दिन की मजदूरी कटने से मजदूर उग्र हो गये. इसी दौरान टाटा स्टील के सुरक्षाकर्मियों और ठेका मजदूर के बीच धक्का-मुक्की शुरू हो गयी. गुस्साये ठेका मजदूरों ने सुरक्षाकर्मियों पर पथराव कर दिया. पथराव होते ही सुरक्षाकर्मियों ने फायरिंग शुरू कर दी. इससे भगदड़ मच गयी. चारों ओर से पथराव होने लगा तो करीब एक दर्जन राउंड गोलियां चली. आक्रोशित भीड़ ने वहां खड़ी कई गाडि़यों और साइकिलों को आग के हवाले कर दिया. इसमें 10 से अधिक बाइक व करीब एक दर्जन साइकिलें जल गयीं.

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