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‘हमको भी कई जख्म गया साल दे गया’जलेस ने नव वर्ष पर आयोजित किया कवि सम्मेलनलाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुरनव वर्ष के अवसर पर जनवादी लेखक संघ, सिंहभूम के तत्वावधान में हरहरगुट्टू स्थित बसंत रेसीडेंसी में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. हरेंद्र प्रताप सिंह ‘हरींद्र’ की अध्यक्षता में आयोजित काव्य सम्मेलन में नगर के कवियों […]

‘हमको भी कई जख्म गया साल दे गया’जलेस ने नव वर्ष पर आयोजित किया कवि सम्मेलनलाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुरनव वर्ष के अवसर पर जनवादी लेखक संघ, सिंहभूम के तत्वावधान में हरहरगुट्टू स्थित बसंत रेसीडेंसी में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. हरेंद्र प्रताप सिंह ‘हरींद्र’ की अध्यक्षता में आयोजित काव्य सम्मेलन में नगर के कवियों ने अपनी कविताएं सुनायीं. इस दौरान नजीर अहमद ‘नजीर’ ने सुनाया ‘एक रास्ता मिलाप का ये भी तो है ‘नजीर’/ हिंदी के साथ जिस जगह उर्दू जबां मिले…’ उनके बाद आयीं गीता मुदलियार ‘नूर’ ने अपनी रचना पढ़ी ‘फिर से आया नया साल मत पूछिये / ले गया क्या गया साल मत पूछिये…’ नगर के प्रसिद्ध शायर अरुण कुमार अरुणेंदु की रचना ‘जिस्मों की भीड़ में हम इक दिल को ढूंढ़ते हैं / खुद अपनी हसरतों के कातिल को ढूंढ़ते हैं…’ को लोगों ने पसंद किया. शैलेंद्र पांडेय ‘शैल’ की रचना ‘पामाल कहीं पर तो कहीं माल दे गया / खुशरंग चमन खूं की तरह लाल दे गया / सांसों में धुआं और निगाहों में नमी है / हमको भी कई जख्म गया साल दे गया’ को भी खूब वाहवाही मिली. मदन अनजान ने सियासतदानों को निशाने पर लेते हुए रचना पढ़ी ‘एक बिल्ली / ज्यों ही घर से निकली / नेता जी रास्ता काट गये / बिल्ली को / गांव के कुत्ते चाट गये?’ उदय प्रताप हयात ने रचना पढ़ी ‘लुट गयी सारी कमाई नोट कर / ले रहा है अब जम्हाई नोट कर…’ तो उमा सिंह की रचना ‘कभी वो आम लगते हैं, कभी वो खास लगते हैं…’ सुनायी. इसके अलावा अध्यक्ष हरेंद्र प्रताप सिंह ‘हरींद्र’, परमानंद कबीर, हरिकिशन चावला, परमानंद कबीर आदि ने भी उपनी कविताएं पढ़ीं.

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