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जुबिली पार्क : बच्चों ने माता-पिता के साथ की मस्ती (हैरी)

जुबिली पार्क : बच्चों ने माता-पिता के साथ की मस्ती (हैरी) – साल के अंतिम दिन पिकनिक मनाने पहुंचे लोग संवाददाता, जमशेदपुरसाल के अंतिम दिन जुबिली पार्क में पिछले साल (2014) की अपेक्षा पिकनिक मनाने वालों की संख्या कम रही. हालांकि पार्क में आने वाले लोगों में उत्साह की कमी नहीं थी. रिश्तेदार, सपरिवार और […]

जुबिली पार्क : बच्चों ने माता-पिता के साथ की मस्ती (हैरी) – साल के अंतिम दिन पिकनिक मनाने पहुंचे लोग संवाददाता, जमशेदपुरसाल के अंतिम दिन जुबिली पार्क में पिछले साल (2014) की अपेक्षा पिकनिक मनाने वालों की संख्या कम रही. हालांकि पार्क में आने वाले लोगों में उत्साह की कमी नहीं थी. रिश्तेदार, सपरिवार और दोस्तों की टोलियों के साथ जुबिली पार्क पहुंचे लोगों ने लजीज व्यंजन के साथ खेलकूद का लुत्फ उठाया. जुबिली पार्क में सुबह से ही चहल-पहल थी. चिल्ड्रेन पार्क सहित पार्क के चारों तरफ पिकनिक मनाने आये बच्चे, महिलाएं बैडमिंटन, क्रिकेट खेलते नजर आये. निक्को पार्क में बच्चों ने झूला का आनंद उठाया. साल के अंतिम दिन भी जुबिली पार्क गेट बंद रहा. पार्क में आने वालों ने रास्ते में वाहन पार्किंग की. तैनात रही पुलिस पार्क में पुलिस के जवान तैनात रहे. घंटे- घंटे पर पुलिस की जीप पार्क के चारों तरफ चक्कर काटती रही. ———————–एक-दूसरे की सभ्यता, संस्कृति को जाना (हैरी)- तीन प्रदेशों के परिवार का दिनभर एक साथ गुजराकेरला की रीमा, हरियाणा की एमएस तनवर और नेपाल की सुनीता ने कभी सोचा भी नहीं था कि तीनों और उनकी बच्ची दिन भर एक साथ गुजारेंगे. साथ-साथ नाश्ता, भोजन करेंगे. पिकनिक के बहाने तीन परिवार ने एक दूसरे की सभ्यता, संस्कृति को जाना. तीनों के पति टाटा स्टील में कार्यरत हैं. शादी के बाद सभी एक- दूसरे परिवार के नजदीक आये. पति के काम काज की व्यवस्था और बच्चों की परवरिश के कारण आये दिन महिलाएं एक दूसरे से नहीं मिल पाती थी. रीमा ने बताया कि साल को यादगार बनाने के लिए उन्होंने जुबिली पार्क जाने का प्लान बनाया. ऑफिस जाने के दौरान महिलाओं को उनके पति पार्क छोड़ ड्यूटी चले गये. पार्क में भोजन के साथ एक साथ यादगार पल बीतने का मौका मिला. —————–पुरानी यादें फिर हुई ताजा (हैरी) पुरानी बातें याद करने का मौका साल के अंतिम दिन मिला. यह हमेशा यादगार रहेगा. यह कहना है जसप्रीत कौर का. पेशे से शिक्षिका जसप्रीत कौर ने बताया कि जुबिली पार्क में वह बहन किरण, भाभी दलजीत, मनजीत, भतीजी और स्मृति के सास के साथ आयी है. भाग दौड़ भरी जिंदगी में घंटों एक साथ बैठने का मौका नहीं मिलता था. साल को यादगार बनाने की पहल उनकी थी. सभी की सहमति से उन्होंने जुबिली पार्क को चुना. साल के अंतिम दिन पिकनिक के बहाने मिल उनकी पुराने यादें ताजा हो गयी. पार्क में खाना बनाने पर रोक के कारण नाश्ता तो सबों ने अपने- अपने घरों से लाया था, लेकिन दोपहर का भोजन होटल से मांगया. दिन भर पार्क में सभी ने खूब मस्ती की.

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