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टाटा स्टील कर्मचारियों की गाड़ी चलाने की हो रही जांच

टाटा स्टील कर्मचारियों की गाड़ी चलाने की हो रही जांच-अंतरराष्ट्रीय एजेंसी देख रही पूरी प्रक्रिया, नये सिस्टम के जरिये हो रही जांच-कर्मचारियों के आगे-पीछे रह रही जांच एजेंसी की गाड़ी, की जा रही है ग्रेडिंगवरीय संवाददाता, जमशेदपुर टाटा स्टील के 17 हजार कर्मचारियों और अधिकारियों को सेफ्टी के लिहाज से गाड़ी चलाना आता है या […]

टाटा स्टील कर्मचारियों की गाड़ी चलाने की हो रही जांच-अंतरराष्ट्रीय एजेंसी देख रही पूरी प्रक्रिया, नये सिस्टम के जरिये हो रही जांच-कर्मचारियों के आगे-पीछे रह रही जांच एजेंसी की गाड़ी, की जा रही है ग्रेडिंगवरीय संवाददाता, जमशेदपुर टाटा स्टील के 17 हजार कर्मचारियों और अधिकारियों को सेफ्टी के लिहाज से गाड़ी चलाना आता है या नहीं, इसकी जांच कंपनी करा रही है. जांच के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की निजी कंपनी को बहाल किया गया है, जो बैच में हर विभाग और सेक्शन के कर्मचारियों को एक दिन की पहले ट्रेनिंग देती है और फिर एक दिन उनकी गाड़ी की मॉनिटरिंग की जाती है. यह देखा जाता है कि कर्मचारियों को गाड़ी चलाने आ रहा है या नहीं. कंपनी के भीतर ही नहीं, शहर के अंदर भी अगर कोई गाड़ी चलाता है तो उसकी गाड़ी की मॉनिटरिंग की जा रही है. कर्मचारी की गाड़ी के आगे -पीछे एजेंसी की गाड़ी रहती है, जो स्थितियों को देखने के बाद उनकी ग्रेडिंग करती है. इस ग्रेडिंग के पीछे मंशा है कि सेफ्टी के साथ कोई खिलवाड़ न करे और प्रोमोशन समेत वेतन समेत अन्य मामलों से लेकर बोनस तक में इसको जोड़ा जा सकता है. इसको लेकर टाटा वर्कर्स यूनियन की ओर से किसी तरह की कोई मंजूरी नहीं ली गयी है. दूसरी ओर, यह परिवहन विभाग पर ही सीधे उंगली उठाना है क्योंकि किसी भी व्यक्ति को ड्राइविंग लाइसेंस सरकार तब प्रदान करती है, जब उसकी गाड़ी चलाने की क्षमता को देख लिया जाता है. लेकिन नये तरीके की जांच ने सबको सकते में डाल दिया है और परिवहन विभाग को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं.

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