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कुछ इस तरह दी सर्दी को मात

कुछ इस तरह दी सर्दी को मात सूर्य देव की आंख-मिचौनी तो करीब सप्ताह भर से जारी थी, लेकिन मंगलवार को पूरे दिन उनके दर्शन नहीं हुए. शहर दिन भर कोहरे की चादर में लिपटा रहा. हल्की हवा चलती रही, जिसके कारण कनकनी इस मौसम के चरम पर रही. नौकरी-पेशा लोगों को तो घर से […]

कुछ इस तरह दी सर्दी को मात सूर्य देव की आंख-मिचौनी तो करीब सप्ताह भर से जारी थी, लेकिन मंगलवार को पूरे दिन उनके दर्शन नहीं हुए. शहर दिन भर कोहरे की चादर में लिपटा रहा. हल्की हवा चलती रही, जिसके कारण कनकनी इस मौसम के चरम पर रही. नौकरी-पेशा लोगों को तो घर से निकलने की मजबूरी थी, वर्ना छोटे-मोटे काम तो लोगों ने इग्नोर ही करना बेहतर समझा. साकची और बिष्टुपुर बाजार में भी ग्राहकों का इंतजार रहा. सड़कों पर आवागमन भी कम रहा. हां, कुछ उत्साही लोग पार्कों में पिकनिक मनाने जरूर पहुंचे, लेकिन पूरे साजोसामान के साथ. बच्चे और किशोर भी ठंड महसूस कर रहे थे, लेकिन उसे मात देने के लिए क्रिकेट और फुटबॉल जैसे खेल का सहारा लेते दिखे. चाय और लिट्टी की दुकानों पर अच्छी-खासी भीड़ रही. सड़क किनारे गाड़ी खड़ी करके माल भराई का इंतजार कर रहे लोगों को तो अलाव का भी सहारा लेना पड़ा. घरों में पकौड़े बनते रहे और रजाई में दुबक कर लोगों ने चाय के साथ उनका लुत्फ उठाया. सर्दी में शहर के हाल पर पढ़िये लाइफ @ जमशेदपुर की यह रिपोर्ट… चाय की चुस्की और मौसम को लानत मौसम के बदले मिजाज ने लोगों के सामने परेशानियां खड़ी कर दी हैं. बाजार का रुख करने वाले लोग सर्द हवा में परेशान दिखे. इसलिए काम-काज निपटाने से पहले ही वे चाय की दुकानों का रुख करने लगे. जुबिली पार्क गेट के पास चाय की हर दुकान पर मंगलवार को दिन भर भीड़ जमी रही. पार्क घूमने व अन्य काम से इधर आने वाले लोग एक बार चाय पीना चाह रहे थे. चाय पीने के साथ-साथ लोग मौसम को कोस भी रहे थे. बागबेड़ा के श्रीधर सुबह शाम-चाय पीते हैं, लेकिन आज दोपहर को भी उन्हें चाय पीने की इच्छा हुई. वह बताते हैं कि सर्दी से बचने के लिए इससे अच्छा उपाय कुछ नहीं हो सकता. गर्म चाय पीने से शरीर गर्म रहता है. इस मौसम में चाय का कप गिना नहीं जाता. आप जितनी बार पी लें उतना अच्छा. जुबिली पार्क गेट के पास अन्य दिनों में वैसे तो एक-दो दुकान हर दिन खुली रहती हैं, लेकिन सर्दी की वजह से सभी दुकान दिन भर खुली रही. बाजार, पार्क जाने वाले लोग एक बार चाय दुकान की तरफ रुख जरूर कर ले रहे थे. दुकान में जेम्को को महेशकांत झा, मानगो के धनंजय कुमार, साकची के मोहम्मद समीर, सोनारी के पंकज कुमार सिंह आदि भी थे. सभी ठंड के चलते यहां चाय पी रहे थे. लोगों की राय में इस मौसम में घर से आने और घर को जाने से पहले एक बार चाय पीना अच्छा रहता है. इससे बाइक पर ठंड कम लगती है. —————-मौसम की बेरुखी ने करायी लिट्टी से दोस्ती वैसे यहां के लोग हर मौसम लिट्टी खाना पसंद करते हैं, लेकिन सर्दी में इसकी चाहत बढ़ जाती है. साकची की सभी लिट्टी दुकानों पर अन्य दिनों की अपेक्षा मंगलवार को अधिक लोग दिखे. लिट्टी के साथ मिलने वाली चोखा-चटनी की वजह से यह थोड़ा चटपटा भी हो जाता है. इसलिए भी लोग इस मौसम में इसे खाना पसंद करते हैं. केबुल बस्ती की प्रेमा अपनी मां की साथ साकची गर्म कपड़ा खरीदने आयी थी. उन्होंने शॉपिंग के बाद मां के साथ लिट्टी खायी. वह बताती हैं कि इस मौसम में लिट्टी-चोखा से अच्छा कुछ नहीं हो सकता. मां विमला देवी को लिट्टी पसंद है. प्रेमा एबीएम कॉलेज की स्टूडेंट है. प्रेमा के साथ अन्य स्टूडेंट्स भी लिट्टी का मजा ले रहे थे. ऐश्वर्य सिंह प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करते हैं. बीटेक स्टूडेंट सौभाग्य सिंह को भी सर्दी में लिट्टी खाना अच्छा लगता है. वह बताते हैं कि इस मौसम में बाहर निकलने पर वह लिट्टी खाना ही पसंद करते हैं. बैठने में लगती है ठंड, चलो बैडमिंटन खेलेंइस सर्दी में जहां लोग चाय-लिट्टी का मजा ले रहे थे, वहीं कुछ परिवार पिकनिक मनाने जुबिली पार्क भी आये थे. पार्क में कुछ फैमिल बैठकर गॉपिश कर रहे थे, तो कुछ सर्दी और तनाव भगाने के लिए बॉल व बैडमिंटन का मजा ले रहे थे. बर्मामाइंस के आलमगीर खान बताते हैं कि थोड़ा बहुत खेल लेने से सर्दी का मजा बढ़ जाता है. खेलने से शरीर में गर्मी आ जाती है. बैडमिंटन के लिए यह बेस्ट मौसम है. गोलमुरी के शेखू, छोटे, अशरफ, रहीम, जुनैद ने भी पार्क में बैडमिंटन का मजा लिया. शेखू बताते हैं कि वह सर्दियों में दोस्तों के साथ बैडमिंटन खेलना पसंद करते हैं. वे लोग रात में भी रोशनी के बीच बैडमिंटन का मजा लेते हैं. क्रिकेट के जरिये ठंड से दो-चार हाथ शहर के किशोर व यूथ को इस मौसम में क्रिकेट खेलना ही भाया. गंडक रोड मैदान में मंगलवार को ऐसे ही कुछ यूथ दिखे. मैदान में टैगोर एकेडमी के स्टूडेंट्स अंकित कुमार व राहुल सिन्हा, एडीएल के नूर मोहम्मद और एआइडब्ल्यूसी के अमन वर्मा ने क्रिकेट खेलकर सर्दी को दूर भगया. स्टूडेंट्स ने बताया कि खेलते रहने से सर्दी का पता नहीं चलता. वे लोग रोज मैदान में क्रिकेट खेलते हैं. नूर मोहम्मद के मुताबिक इस मौसम में तो हर गली-मुहल्ले में स्टूडेंट्स क्रिकेट खेलते दिख जाते हैं. अगर खेल का मजा लेना है, तो मैदान मायने नहीं रखता. कामगारों का सहारा बना अलाव कामगार टाइप के लोगों ने अलाव का सहारा लिया. मरीन ड्राइव में राह चलते लोगों ने अासपास की लकड़ी व पेड़ से गिरे सूखे पत्ते से आग सुलगायी और ठंड को दूर करने की कोशिश की. शहर के अन्य हिस्से में भी लोगों ने आग जलाकर सर्दी भगायी. मरीन ड्राइव में आग सेंक रहे एके शुक्ला बताते हैं कि सर्दी से बचना है, तो आग के पास रहना ही होगा. शहर का पारा गिर गया है. अाग लोगों का बड़ा सहारा है. जो लोग शरीर से कमजोर हैं, उनके लिए आग वरदान के समान है. सोनू कुमार, गणेश, सुदामा साह, जितेंद्र साह, मंटू व बहार को भी सर्दी में आग के पास बैठना अच्छा लगता है.

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