जमशेदपुर. देश में लगातार बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ तथा अभिव्यक्ति की आजादी के पक्ष में रविवार को साकची में साझा संस्कृति मंच के तत्वावधान में एक मौन जुलूस निकाला गया. साकची आमबगान से निकला मौन जुलूस बंगाल क्लब, साकची गोलचक्कर होते हुए बसंत सिनेमा चौक पहुंचा, जहां से वापस लौट कर साकची गोलचक्कर में नुक्कड़ सभा में तब्दील हो गया. जनवादी लेखक संघ के अध्यक्ष नंदकुमार उन्मन की अध्यक्षता में आयोजित उक्त नुक्कड़ सभा में शहर के विभिन्न साहित्यिक संगठनों, संस्कृति एवं समाज कर्मियों ने हिस्सा लिया.
सभा की शुरुआत में प्रलेस के अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध कथाकार जयनंदन ने सभी कलमजीवियों व बुद्धिजीवियों का स्वागत करते हुए साझी संस्कृति और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करने वाले लोगों को एकजुट होने का आह्वान किया.
इसके पश्चात वक्ताओं ने देश की साझा संस्कृति को विगत कुछ महीनों में उत्पन्न खतरों की चर्चा की एवं इसे देश के संविधान द्वारा स्वीकृत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और देश के बहुलतावादी ढांचे पर दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा हो रहे हमलों के प्रति सजग रह कर उसके प्रतिवाद की प्रतिबद्धता जतायी. डॉ सुभाष चंद्र गुप्त के संचालन में आयोजित सभा में डॉ आशुतोष झा, डॉ लक्ष्मण प्रसाद, जलेस के शैलेंद्र अस्थाना, श्यामल सुमन, अशोक शुभदर्शी, उदय प्रताप हयात, जसम के ओमप्रकाश सिंह, लोक सांस्कृतिक चेतना मंच के गोपाल दा, पैरोकार के अजय महताब, अंजुम तरक्की उर्दू ए हिंद के डॉ अफसर काजमी, मुख्तार अंसारी, साइंस फॉर सोसायटी के डीएनएस आनंद, कलाधाम के निजाम, अदबी मंच के जावेद अंसारी, अरविंद विद्रोही, एसआरए रिजवी छब्बन, अंजली बोस, सुमित कुमार आदि भी शामिल हुए.
सभा की शुरुआत जन गीत से हुई व अंत में झारखंड संस्कृति मंच की ओर से सफदर हाशमी ने नुक्कड़ नाटक ‘हत्यारे’ प्रस्तुत किया. इस दौरान प्रतिक्रियावादी शक्तियों के हमले में मारे गये एमएम कलबुर्गी, गोविंद पानसरे और नरेंद्र दाभोलकर को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी.