पूर्व डीडीसी समेत छह पर प्राथमिकी का आदेशमेसो परियोजना के फलदार पौधरोपण में 60 लाख रुपये घोटाला के मामले में लोकायुक्त ने दिया निर्देश (फ्लैग)—————————प्रशिक्षु आइएएस डॉ नेहा अरोड़ा की जांच रिपोर्ट की मुख्य बातें -20 फरवरी 2007 को जिला परियोजना कार्यान्वयन समिति(पीआइसी) की बैठक में लिये गये निर्णय के अनुसार पटमदा में इमारती अौर फलदार पौधरोपण की जिम्मेदारी ग्रामोद्योग संस्थान को देने का निर्णय लिया गया- अनुसूचित जन जाति के परिवारों को दो वर्ष (वित्तीय वर्ष 2008 से 2010) तक आय वृद्धि योजना के अंतर्गत छह गांव लेकरो, सारी, सुंदरपुर, लावजोड़ा, नियोबारा एवं काको में 44,464 पौधे लगाने थे जिसके लिए 111 लाभुक चयन कर 111 एकड़ पर पौधरोपण की जिम्मेदारी दी गयी थी- पौधरोपण, प्रशिक्षण, उन्नयम के लिए 66, 49, 600 में से 61, 48, 560 रुपये विमुक्त किये गये थे- सुंदरपुर में 16 लाभुक एक ही परिवार के पाये गये, एनजीअो ने 16 एकड़ जमीन बताया था, जबकि सीअो की रिपोर्ट के अनुसार 16 लाभुकों के पास मात्र 2.3 एकड़ जमीन ही थी-लाभुक दिलीप कुमार सिंह की जमीन एक एकड़ बतायी गयी थी, जबकि उनके पास मात्र 0.25 डिसमिल जमीन पायी गयी- लेकरो में 16 प्लाॅट पर पौधरोपण कागज में दिखाया गया था, 13 एकड़ में से मात्र 8.5 एकड़ ही पौधरोपण हुआ- सुंदरनगर में 26 प्लाट में 26 एकड़ के स्थान पर 5.74 जमीन पायी गयी- 111 एकड़ प्रस्तावित जमीन के स्थान पर 75 एकड़ का उल्लेख खतियान में मिला अौर लाभुक सूची में 75 एकड़ के स्थान पर मात्र 46.52 एकड़ जमीन पायी गयी- मेजरमेंट बुक में 24 तालाब निर्माण दर्ज था अौर उसके लिए राशि भुगतान की गयी थी, लेकिन स्थल पर मात्र 12 तालाब निर्मित मिले- सुंदरपुर में 12,704 पौधे लगाने थे जहां जांच के दौरान मात्र एक अमरूद के पेड़ अौर सात सागवान के पेड़ मिले- काको में 3,176 पौधे लगाने थे, जांच में वहां मात्र एक सागवान का पेड़ मिला वरीय संवाददाता, रांची/जमशेदपुर लोकायुक्त अमरेश्वर सहाय ने पूर्व डीडीसी( अब सेवानिवृत्त) सीताराम बारी समेत पांच अधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है. लोकायुक्त ने मेसो परियोजना के तहत पटमदा के छह गांव में पौधरोपण व तालाब निर्माण के नाम पर करीब 60 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता में जमशेदपुर के तत्कालीन मेसो पदाधिकारी डीडी उरांव, जिला उद्यान पदाधिकारी एनुन एक्का, मेसो के तत्कालीन सहायक अभियंता कनक कुमार, तत्कालीन मेसो परियोजना पदाधिकारी सीताराम बारी (पूर्व डीडीसी), मेसो के तत्कालीन कनीय अभियंता रामबदन महतो (सेवानिवृत्त) तथा स्वयंसेवी संस्था सिंहभूम ग्रामोद्योग विकास संस्थान नीमडीह चाईबासा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने कहा है. साथ ही संस्था को काली सूची में डालने का भी निर्देश दिया गया है. श्री उरांव वर्तमान में लोहरदगा में आइटीडीए के परियोजना निदेशक के पद पर कार्यरत हैं. लोकायुक्त के सचिव दीपक कुमार ने बताया कि तीन माह के अंदर की गयी कार्रवाई से लोकायुक्त को अवगत कराने का निर्देश दिया गया है.————-क्या है मामला आरटीआइ कार्यकर्ता दिनेश महतो ने वर्ष 2013 में लोकायुक्त के समक्ष शिकायतवाद दर्ज कराया था. कहा गया था कि विशेष केंद्रीय योजना के तहत फलदार तथा इमारती पौधरोपण कार्यक्रम में बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी हुई है. फाइलों में ही पौधरोपण व तालाब खुदाई दिखाकर योजना की राशि की निकासी करने का आरोप लगाया था. लोकायुक्त ने कोल्हान आयुक्त को मामले की जांच करने का निर्देश दिया था. आयुक्त के निर्देश पर तत्कालीन प्रशिक्षु आइएएस डॉ नेहा अरोड़ा ने जांच की थी अौर जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी की बात कही थी. मामले की सुनवाई लोकायुक्त कार्यालय में चल रही थी. —————–क्या था आरोपयोजना के तहत 66.50 लाख रुपये का कार्य करना था. अधिकारियों व संस्था की मिलीभगत से सिर्फ छह लाख रुपये का कार्य कर 60 लाख रुपये दिखा दिया गया. अधिकारियों ने 32.05 लाख रुपये की लागत से पिट खुदाई, 23.07 लाख रुपये की लागत से 26 तालाब व 8.84 लाख रुपये की लागत से प्लांटेशन मेंटेंस, ट्रेनिंग कॉस्ट व प्रोमोशनल कॉस्ट फाइलों में दिखाया, जबकि कार्य धरातल पर नजर नहीं आया.
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