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शर्ते नहीं मान रही एजेंसी सरकार बनी तमाशबीन

बदहाल एनएच 33 रांची/जमशेदपुर : एनएच 33 (रांची–महुलिया) को फोर लेन करने का काम लेनेवाली कंपनी मधुकॉम के आगे सभी संबंधित तंत्र झुक गये हैं. एजेंसी एग्रीमेंट की शर्तो का उल्लंघन कर रही है. उसकी जिम्मेवारी थी कि सड़क पर अगर एक गड्ढा भी हो, तो वह तत्काल भरे. यानी रांची से महुलिया तक की […]

बदहाल एनएच 33

रांची/जमशेदपुर : एनएच 33 (रांचीमहुलिया) को फोर लेन करने का काम लेनेवाली कंपनी मधुकॉम के आगे सभी संबंधित तंत्र झुक गये हैं. एजेंसी एग्रीमेंट की शर्तो का उल्लंघन कर रही है. उसकी जिम्मेवारी थी कि सड़क पर अगर एक गड्ढा भी हो, तो वह तत्काल भरे.

यानी रांची से महुलिया तक की सड़क को बेहतर आवागमन के लायक बनाये, पर एजेंसी यह नहीं कर रही है. फिर भी उसे कोई कुछ नहीं कर/कह पा रहा है. एनएचएआइ (नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया) ने इस कंपनी को काम दिया है. इस पूरे मामले में राज्य सरकार असहाय है. पथ निर्माण विभाग ने कई बार सड़क बनवाने का आग्रह किया, पर उसकी भी नहीं सुनी जा रही है.

मरम्मत के नाम पर बोल्डर

जमशेदपुर पहुंचने के ठीक पहले एजेंसी ने सड़क किनारे पत्थर (बोल्डर) गिराया था. करीब डेढ़ माह से यह इंतजार हो रहा था कि बरसात में सड़क पर बड़ेबड़े गड्ढे हो जायेंगे. हुआ भी ऐसा. फिर गड्ढे में बोल्डर डाल दिये गये. स्थिति ऐसी हुई कि वाहन चालकों के पत्थर के नुकीले हिस्से से टायर फटने लगे. दुर्घटनाएं होने लगी. इसी तरह कहींकहीं पर जैसेतैसे मेटेरियल डाला गया.

सस्पेंड भी किया गया

कुछ साल पहले एक इंजीनियर एनएच 33 के गड्ढे पर बोल्डर डाल दिया था. इसे तत्कालीन पथ सचिव केके खंडेलवाल ने गंभीरता से लिया था. उन्होंने कहा कि बोल्डर डालना नन इंजीनियरिंग काम है. इंजीनियरिंग के स्तर पर यह हो ही नहीं सकता. उन्होंने उस इंजीनियर को सस्पेंड करने का आदेश दिया था.

कई बार आग्रह किया

पथ निर्माण विभाग ने एनएच 33 के किमी 239 से 245 तक की स्थिति सुधारने का आग्रह कई बार किया है. एजेंसी को बताया गया कि इसकी स्थिति काफी खराब है. यह चलने लायक नहीं. इसे तत्काल बनायें. पथ विभाग डेढ़ साल से इसके लिए आग्रह कर रहा है, पर स्थिति और भी खराब हो गयी है.

कैसे है सरकार असहाय

एनएच 33 को एनएचएआइ ने ले लिया है. एनएचएआइ ने उन्नत विकसित सड़क बनाने के लिए नेशनल हाइवे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत इस सड़क को फोर लेन करने का फैसला लिया. ठेकेदार को काम भी दे दिया गया. काम शुरू भी हुआ. अब सारा कुछ एनएचएआइ एजेंसी के बीच है. राज्य सरकार के नियंत्रण में ही नहीं है यह मामला. इस वजह से राज्य सरकार इस पर कुछ नहीं कर पा रही है.

क्या हो सकता है विकल्प

अगर सरकार को लगे कि स्थिति सुधरनेवाली नहीं है. दिनोंदिन सड़क की स्थिति और खराब हो रही है. राज्य के विकास पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है, तो सरकार एग्रीमेंट रद्द कराने की दिशा में प्रयास कर सकती है. मुख्यमंत्री पथ निर्माण मंत्री की हैसियत से हेमंत सोरेन को इस मामले में पहल करनी होगी.

मुंडा ने कराया था रिपेयर

तीन साल पहले भी इस सड़क की स्थिति थोड़ी खराब हुई थी, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा थे. उन्होंने राज्य के कोष से इसके रिपेयर के लिए पैसा दिया था.

सांसद ने सरकार को लिखा पत्र, कहा :एनएच-33 चलने लायक नहीं, हालत सुधारें

जमशेदपुर के सांसद डॉ अजय कुमार ने राज्य सरकार को पत्र लिख कर एनएच-33 की बदहाल सड़क को बनाने की मांग की है.

सांसद ने राज्य सरकार के पथ निर्माण विभाग की सचिव राजबाला वर्मा को पत्र लिख कर पूरे हालात की जानकारी दी है. सांसद ने बताया है कि चांडिल से लेकर बहरागोड़ा तक सड़क की दयनीय स्थिति है. इस सड़क पर वाहन चलाना मुश्किल है. सरकार और अधिकारियों की असंवेदनशीलता के कारण हालात बदतर हुए हैं. आये दिन इस सड़क पर जानमाल का नुकसान हो रहा है.

अब तक करीब सौ ज्यादा लोगों की मौत दुर्घटना में हो गयी है. सांसद ने पत्र में बताया है कि 165 किलोमीटर की यात्रा तय करने में छह से सात घंटे लग रहे हैं. सांसद ने सरकार का बताया है कि झाविमो 26-27 अक्तूबर को बहरागोड़ा से सड़क की नाकेबंदी करेगा. एनएचएआइ के अधिकारियों और राज्य सरकार ने सड़क की हालत सुधारने का लिखित आश्वासन दें.

क्या है शर्त में

एजेंसी सड़क मरम्मत करती रहे

– सड़क में गड्ढे हों अगर हो, तो तत्काल भरा जाये

ट्रैफिक को बेहतर बनाने के लिए सड़क अच्छी स्थिति में रखें

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