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बालीवुड में भी छा गये हैं लोक कलाकार मामे खां

गुरु सम्मान समारोह. प्रभात खबर और श्रीलेदर्स के संयुक्त तत्वावधान में आयोजन, राजस्थानी लोक संगीत की घुलेगी मिठास जमशेदपुर. आगामी आठ सितंबर 2015 को एक्सएलआरआइ ऑडिटोरियम जमशेदपुर में संध्या छह बजे से प्रभात खबर और श्रीलेदर्स कमानी सेंटर, बिष्टुपुर के संयुक्त तत्वाधान में गुरु सम्मान समारोह और फोक नाइट का आयोजन हो रहा है. इसमें […]

गुरु सम्मान समारोह. प्रभात खबर और श्रीलेदर्स के संयुक्त तत्वावधान में आयोजन, राजस्थानी लोक संगीत की घुलेगी मिठास
जमशेदपुर. आगामी आठ सितंबर 2015 को एक्सएलआरआइ ऑडिटोरियम जमशेदपुर में संध्या छह बजे से प्रभात खबर और श्रीलेदर्स कमानी सेंटर, बिष्टुपुर के संयुक्त तत्वाधान में गुरु सम्मान समारोह और फोक नाइट का आयोजन हो रहा है.
इसमें राजस्थान के प्रसिद्ध लोक कलाकार मामे खां पारंपरिक राजस्थानी वेषभूषा में अपनी जादुई आवाज की जादू िबखेरेंगे. भारत के अलावा यूरोप, अफ्रीका और खाड़ी देशों में मंच पर अपने हुनर का जलवा बिखेर चुके मामे खां जमशेदपुर के गीत-संगीत प्रेमियों का भरपूर मनोरंजन करने आ रहे हैं.
मरू प्रदेश के लोक कलाकार मामे खां ने न सिर्फ विभिन्न मंचों पर अपनी आवाज का जादू बिखेरा है बल्कि बालीवुड का भी ध्यान अपनी ओर खींचा है. लोक गीत, सूफी व कव्वाली के संगीत को हर दिल की गहराई में उतारकर तरंगित करने वाले मामे खां अब तक बॉलीवुड की कई फिल्मों में अपनी आवाज दे चुके हैं. जांगड़ा व सूफी शैली से मिली उनकी शोहरत अब बॉलीवुड में भी विशिष्ट पहचान बना चुकी है. मामे खां ने रितिक रोशन अभिनीत हिन्दी फिल्म लक बाय चांस में शंकर महादेवन के साथ बावरे. और ‘नो वन किल्ड जेसिका’ में एतबार … और आइएम में कविता सेठ के साथ बांगूर जैसे लोकप्रिय गीतों को अपनी आवाज दी है. उन्होंने हॉलीवुड की संगीत आधारित एक डाक्यूमेंट्री फिल्म में भी काम किया है जिसमें उन्होंने अभिनय भी किया है.
मामे खां ने मुंबई में बिरजू महाराज के शिष्य संदीप महावीर के साथ टाटा थियेटर और फोर्ड थियेटर दिल्ली और प्रसिद्ध पार्श्व गायक येशुदास के साथ केरल में भी कार्यक्रम पेश किये जिससे उन्हें काफी हौसला अफजाई मिली. बॉलीवुड के अलावा बंगाली फिल्म गिरगिट में भी इन्होंने अपनी आवाज दी है. निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा की आगामी फिल्म मिर्जा साहिबा में मामे खां की दमदार आवाज शंकर महादेवन के साथ सुनाई देगी .मामे खां का गायन बेमिसाल है.
संगीत उनकी रग-रग में बसा है और कल्याण, कमायचा, दरबारी, तिलंग, सोरठ, बिलवाला, कोहियारी, देश, करेल, सुहाब, सामेरी, बिरवास, मलार जैसे वाद्य यंत्रों का संगीत उनकी गायन शैली को बुलंदी प्रदान करता है. मामे खां के हर अंदाज से रेत की महक को महसूस किया जाता है जो मरू प्रदेश का गौरव बढ़ाती है.
मामे खां को संगीत का हुनर विरासत में मिला है . अपने जमाने के ख्यातनाम लोक गायक रहे राणो खां के घर में जन्म लेने के बाद जब मामे खां ने आंखे खोली तभी से संगीत सुनने को मिला . गुरु के तौर पर उनके पिता ने उन्हें परंपरागत लोक संगीत के साथ-साथ सूफी संगीत भी सिखाया . यह पिता का ही मार्गदर्शन रहा कि आज वे इस मुकाम पर हैं.
इस आयोजन में इंपीरियल व्हीकल्स, भालोटिया इंजीनियरिंग तथा वसुंधरा ग्रुप अन्य प्रायोजक की भूमिका में शामिल हो रहे हैं. सहयोगी के रूप में कुलदीप संस ज्वेलर्स तथा हेवेन इंडिया रियलटेक इसमें भाग ले रहे हैं तो होटल जीवा आतिथ्य सहयोग एवं स्काइवे कैरियर हब एवं क्रिएटिव हार्ट्ज लॉजिस्टिक , यामहा पार्टनर के रूप में शामिल हो रहे हैं.

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