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छाता मसजिद के नाम से जानी जाती है मसजिद- ए- नबी बख्श (17 जुगसलाई मसजिद)

उपमुख्य संवददाता, जमशेदपुर जुगसलाई पुरानी बस्ती रोड में स्थित मसजिद की तीन मंजिला इमारत पर विगत 20 सालों से पांच वक्त की नमाज पढ़ी जाती है. चूंकि इस मसजिद के जमीनी तल्ले पर व्यापारिक उपयोग के लिए दुकानंे थी, इसलिए यह मसजिद छाता मसजिद के नाम से मशहूर हो गयी. हालांकि कम लोग इसे मसजिद […]

उपमुख्य संवददाता, जमशेदपुर जुगसलाई पुरानी बस्ती रोड में स्थित मसजिद की तीन मंजिला इमारत पर विगत 20 सालों से पांच वक्त की नमाज पढ़ी जाती है. चूंकि इस मसजिद के जमीनी तल्ले पर व्यापारिक उपयोग के लिए दुकानंे थी, इसलिए यह मसजिद छाता मसजिद के नाम से मशहूर हो गयी. हालांकि कम लोग इसे मसजिद ए नबी बख्श के नाम से जानते हंै. मरहूम नबी बख्श मसजिद की जमीन और भवन दान करने वाले हाजी मोहम्मद मरहूम साबीर चक्की वाले के वालिद मोहतरम का नाम है. जिनके नाम से आज तीन मंजिला मसजिद कायम है. मरहूम साबीर के दो पुत्र मोहम्मद मुर्तजा एवं मोहम्मद जाबीर उर्फ कल्लू हैं. मसजिद में कुल 18 सफें हैं. 1500 से अधिक लोग नमाज-ए- जुमा अदा करते हैं. यह मसजिद घनी आबादी वाले मुसलिम बहुल क्षेत्र में है.स्थानीय लोगों की मदद से उपरी तल्ले का हुआ निर्माण (17 मोहम्मद मुर्तजा)मसजिद नबी बख्श उर्फ छाता मसजिद के संस्थापक हाजी मरहूम मो साबीर के पुत्र मो मुर्तजा ने बताया की मसजिद की स्थापना काल के बाद हाजी मरहूम अब्दुल हकीम आदि की देख-रेख में मसजिद की तामीर की गयी. प्रथम तल्ले को मसजिद की जमीन वक्फ करने वाले ने खुद तामीर कराया था जबकि अन्य तामीरी काम 1995 के बाद नमाजी और स्थानी लोगों के सहयोग से किया गया. नमाज ए ारावीह और इमामत मौलान मो इरशाद करते हैं.

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