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किशन-कन्हैया का सपना अधूरा रह गया
जमशेदपुर : किशन को मुखाग्नि देने वक्त बड़ा भाई कन्हैया रोते हुए कहा रहा था कि किशन-कन्हैया का सपना अधूरा रह गया. दोनों भाई ने परिवार को आगे बढ़ाने का सपना देखा था. जब भी किशन को मौका मिलता था, वह फोन कर मुझसे जरूर बात करता था. इस दौरान दोनों भाई घर बनवाने से […]
जमशेदपुर : किशन को मुखाग्नि देने वक्त बड़ा भाई कन्हैया रोते हुए कहा रहा था कि किशन-कन्हैया का सपना अधूरा रह गया. दोनों भाई ने परिवार को आगे बढ़ाने का सपना देखा था.
जब भी किशन को मौका मिलता था, वह फोन कर मुझसे जरूर बात करता था. इस दौरान दोनों भाई घर बनवाने से लेकर मां-पापा के अच्छे दिन लाने की बात करते थे. हमने बचपन से अपने परिवार को कष्टों में जीवन गुजारते देखा है. हमने सोचा था कि दोनों भाई परिवार को हर खुशी देंगे. कन्हैया को छोड़ कर किशन चला गया. सपने में भी नहीं सोचा था कि किशन हमें छोड़कर चला जायेगा.
नहीं देख पाया भाई के सिर पर सेहरा : किशन का छोटा भाई जयशंकर कुमार दूबे ने रोते हुए कहा कि जल्द ही भाई की शादी होने वाली थी. शादी को लेकर परिवार में काफी उत्साह था.
लेकिन किशन भैया के सिर पर दूल्हा का सेहरा नहीं देख पाया. किशन भैया जब भी आते थे या फोन पर बात करते थे, फौज में भर्ती होने की बात करते थे. इस बार छुट्टी पर आने के दौरान बीएसएफ में भर्ती के लिए आवेदन भी दिलवाये थे. वहीं किशन के सबसे छोटा भाई विकास कुमार दूबे ने बताया कि भैया से कुछ भी बोलने से तुरंत उसे पूरा करते थे. अक्सर हमलोगों को पढ़ने के लिए बोलते थे. देश भक्ति उनमें कूट-कूट कर भरी थी.
जमशेदपुर.अपनी शहादत से शहर को गौरवान्वित करने वाले शहीद किशन की o्रद्धांजलि सभा में कीताडीह का हरेक परिवार पहुंचा था. अपने शहर के सपूत की एक झलक पाने व अंतिम विदाई देने के लिए बस्ती के किसी घर में रविवार चूल्हा नहीं जला. सुबह से ही लोग दुर्गापूजा मैदान की ओर जाने लगे थे. हर कोई बस शहीद का दर्शन करना चाहता था. जिसने किशन को कभी देखा नहीं था, वे भी अपने शहर के सपूत को देखने को बेताब थे. कीताडीह की गलियों से होते हुए लोग पहले त्रिमूर्ति चौक स्थित शहीद के आवास पर गये. वहां से जुलूस की शक्ल में सभी श्री शिव मंदिर से होते हुए नायडू बिल्डिंग की तरफ से दुर्गापूजा मैदान पहुंचे.
..मौत हो तो शहीद किशन जैसी : संभवत: पहला ऐसा मौका था कि जब कीताडीह की सभी दुकानें बंद रहीं. सभी घरों से एक-एक सदस्य अंतिम यात्रा में शामिल होने निकले थे. कीताडीह की तंग गलियां आज खाली-खाली दिख रही थी. सभी के हाथों में फूल माला-अगरबत्तियां लिए हुए थे.
हिंदू, मुसलिम, सिख, ईसाई समुदाय का आपसी भाईचारा रविवार को शहीद किशन की अंतिम विदाई में देखने को मिला. सभी धर्मो के प्रमुखों ने अपने-अपने भगवान को याद कर शहीद किशन की आत्मा की शांति और उसके परिवार को हिम्मत देने के लिए प्रार्थना की. शहीद किशन की अंतिम यात्रा के दौरान जब तक सूरज चांद रहेगा.., किशन तेरा यह बलिदान.., शहीद किशन अमर रहे. के नारे लगातार लगते रहे. अंतिम दर्शन में शामिल हुए लोग कह रहे थे, मौत हो तो शहीद किशन जैसी.
जिसे अंगुली पकड़कर चलना सिखाया उसे ताबूत में देख हौंसला टूटा
छोटे भाई का शव देख कन्हैया हुआ बेहोश
जमशेदपुर. जिसे अंगुली पकड़कर चलना सिखाया, जिसके साथ खेलकूद कर बड़ा हुआ, हर एक बात शेयर की. उस भाई का शव तिरंगा में लिपटा हुआ देख शहीद किशन का बड़ा भाई कन्हैया बेहोश हो गया. इसके बाद कीताडीह दुर्गापूजा मैदान से कुछ लोगों ने कन्हैया दूबे को बाहर निकाल कर शांत जगह पर पहुंचाया. यहां काफी देर (सिर पर पानी डालने) के बाद कन्हैया को होश आया. लोगों ने उसे कुछ खिलाकर पानी पिलाना चाहा. उसने खाने से इनकार कर दिया.
इस दौरान शहीद का भाई फफक कर रोते हुए कहा रहा था कि कभी नहीं सोचा था कि अपने छोटे भाई को इस तरह देखना पड़ेगा. इस प्रकार से हिम्मत हारते देख भारतीय सेना के कर्नल सौरभ के शर्मा ने किशन के भाई कन्हैया को हिम्मत रखने को कहा. कर्नल शर्मा ने कहा कि तुम खुद देश के सिपाही हो. तुम ऐसे हिम्मत हारोगे, तो परिवार को कौन संभालेगा. आपको अपने वीर भाई पर गर्व होना चाहिए. अभी आपको परिवार की नींव डालनी है.
पिता की तबीयत बिगड़ी
बेटा के शहीद होने की खबर से बेसुध हुए पिता की तबीयत रविवार को बेटे का शव देख और बिगड़ गयी. जिसे गोद में खिलाया और कंधों पर घुमाया, उसे इस हालत में देख वह खुद को रोक नहीं पाये. वृद्ध पिताजी बिना कुछ कहे बार बार फफक-फफक कर रो रहे थे. ज्यादा रोने और खाना बंद करने के कारण किशन के पिताजी की तबीयत खराब हो गयी.
इस दौरान आर्मी के अधिकारी कर्नल सौरभ के शर्मा ने उनके पिताजी को संभालने को कहा. इस दौरान किशन के पिताजी को डॉक्टर से जांच करायी गयी. तबीयत में हल्का सुधार होने के बाद किशन के पिताजी को शव यात्रा वाली गाड़ी में बैठा कर पार्वती घाट ले जाया गया.
पार्थिव शरीर के पीछे-पीछे पूजा मैदान तक पहुंची भाभी
जैसे ही किशन के पार्थिव शरीर को आवास से कीताडीह दुर्गा पूजा मैदान की ओर ले जाया गया. किशन की भाभी खुशबू अपने आप को नहीं रोक पायी. रोते-बिलखते पार्थिव शरीर के पीछे-पीछे कीताडीह के दुर्गा पूजा मैदान में बने श्रद्धांजलि मंच तक आ पहुंचीं. भाभी को मंच की तरफ बढ़ने से रोकने के लिए पीछे से किशन के तीनों भाई साथ में बहन बन्नी भी पहुंचे.
मंच पर पहुंचकर किशन की भाभी पार्थिव शरीर से लिपट-कर जोर-जोर से रोने लगी. मंच के आसपास माहौल काफी गमगीन हो गया. भाभी को रोते देख किशन की बहन भी जोर जोर से रोने लगी. बाद में परिजन उन्हें घर ले गये.
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