जमशेदपुर: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि झारखंड को विशेष राज्य का दरजा देने की मांग हम लोगों ने नहीं की. हमने केंद्र से वाजिब हक मांगा है. अगर पहले ही इस प्रदेश का हक मिल गया होता, तो राज्य पिछड़ा नहीं होता. श्री सोरेन शनिवार को सोनारी एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. सांसद प्रदीप कुमार बलमुचु की पुत्री के विवाह में शामिल होने जमशेदपुर पहुंचे श्री सोरेन ने कहा कि प्रदेश में स्थानीय नीति तय करना ज्यादा जरूरी है. तभी झारखंड विकास की पटरी पर आगे बढ़ पायेगा. अगले एक से दो माह में इस पर फैसला ले लिया जायेगा.
आदिवासी-मूलवासी व रैयतों को नुकसान : सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र के भूमि अधिग्रहण बिल में कई बातें हैं. पर कई बातें ऐसी हैं, जिसमें झारखंड का ध्यान नहीं रखा गया है. आदिवासी और मूलवासी के साथ-साथ रैयतों के लिए यह बिल नुकसानदायक होगा. चूंकि इसमें कोयला खान एरिया और माइनिंग को बाहर रखा गया है, इस कारण इस पॉलिसी का लाभ लोगों को नहीं मिल सकेगा.
झारखंड में कोयला खदान और माइनिंग का ही काम ज्यादा है. उन्होंने कहा : अगर समय पर लोगों को मुआवजा मिल गया होता, तो निश्चित तौर पर सबको लाभ होता. सीसीएल ने जो जमीन अधिग्रहित की है, उसकी मुआवजा राशि 10 हजार करोड़ रुपये बनती है. यह राशि मिल गयी होती, तो झारखंड आज पिछड़े राज्य की श्रेणी में नहीं होता. उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता किसानों को सुखाड़ से बचाना है. इस दिशा में बेहतर पैकेज लाने पर विचार चल रहा है. इसकी घोषणा जल्द कर दी जायेगी.
गंठबंधन मजबूत रहेगा : श्री सोरेन ने कहा कि झामुमो-कांग्रेस गंठबंधन मजबूत है. इसमें कहीं कोई दरार नहीं है. लोकसभा चुनाव को लेकर 10 और चार सीट की बातचीत हुई है. इसे चुनाव के वक्त देखा जायेगा. वैसे झामुमो की कार्यकारिणी की बैठक में सभी सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ने की बात जरूर हुई है. यह पार्टी की भावना है. गंठबंधन पर इसका असर नहीं पड़ेगा.