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सब्जी बेच विद्यावती बन गयी स्कूल टॉपर

जमशेदपुर: बर्मामाइंस स्थित बीपीएम प्लस टू हाई स्कूल की छात्र विद्यावती कुमारी झारखंड अधिविद्य परिषद की ओर से आयोजित इंटर वोकेशनल परीक्षा में कुल 1000 में 690 अंक अजिर्त कर टॉपर बनी. इस छात्र ने न केवल स्कूल व शहर को गौरवान्वित किया है, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर व ड्रॉप आउट छात्र-छात्रओं के लिए […]

जमशेदपुर: बर्मामाइंस स्थित बीपीएम प्लस टू हाई स्कूल की छात्र विद्यावती कुमारी झारखंड अधिविद्य परिषद की ओर से आयोजित इंटर वोकेशनल परीक्षा में कुल 1000 में 690 अंक अजिर्त कर टॉपर बनी. इस छात्र ने न केवल स्कूल व शहर को गौरवान्वित किया है, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर व ड्रॉप आउट छात्र-छात्रओं के लिए प्रेरणा स्रोत भी है. डिमना के गेड़वा निवासी विद्यावती एक पैर से लाचार है. इसके बावजूद पढ़ाई और कुछ कर दिखाने की ललक कम नहीं हुई. अब वह लेटरल इंट्री के साथ पॉलिटेक्निक और उसके बाद जॉब व कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग करना चाहती है.
मैट्रिक के बाद छोड़ दी थी पढ़ाई, खेत में पिता का हाथ बंटाया : विद्यावती ने वर्ष 2007 में उलीडीह स्थित आदिवासी जनकल्याण उच्च विद्यालय से प्रथम श्रेणी में मैट्रिक की परीक्षा पास की. उसके बाद पढ़ाई छोड़ दी थी. घर की माली हालत ठीक नहीं है. उसके पिता कृष्णा प्रसाद कुशवाहा किराये पर खेत लेकर सब्जी की खेती व बिक्री करते हैं. मां राजकली देवी गृहिणी हैं. दोनों पढ़े-लिखे नहीं हैं. पिता की मासिक आय लगभग 6-7 हजार रुपये है. इसी श्री प्रसाद अपने नौ बच्चों का भरण-पोषण करते हैं. माता-पिता की सबसे बड़ी संतान होने के नाते घर की माली हालत को देखते हुए विद्यावती खेत में पिता का हाथ बंटाने लगी, ताकि अन्य मजदूर को दी जानेवाली मजदूरी बच जाये और घर की स्थिति में कुछ सुधार हो.
टय़ूशन से निकाला पढ़ाई का खर्च : किसी परिचित से बीबीएम प्लस टू हाई स्कूल में संचालित वोकेशनल कोर्स की जानकारी मिली. उसके बाद वर्ष 2013 में विद्यावती ने इस स्कूल में इंटर कंप्यूटर साइंस में दाखिला लिया. अब गेड़वा से बर्मामाइंस स्थित स्कूल आने-जाने का किराया व पढ़ाई का खर्च जुटाना उसके लिए मुश्किल था. इसलिए उसने कुछ बच्चों को टय़ूशन पढ़ाना भी शुरू कर दिया. हर दिन स्कूल और पिता के काम में हाथ बंटाने के अलावा वह अपनी पढ़ाई के लिए भी समय निकालती. विद्यावती ने बताया कि उसकी सफलता में स्कूल की कक्षाएं भी अहम हैं.
स्कूल में कभी अनुपस्थित नहीं रही : विद्यावती ने बताया कि स्कूल में नियमित कक्षाएं होती हैं. शिक्षक जो पढ़ाते थे, उसे घर में दोहराती थी. अपनी सफलता को वह माता-पिता व गुरुजनों के आशीर्वाद का परिणाम मानती है. वहीं शिक्षकों ने बताया कि तमाम परेशानियों के बीच विद्यावती ने कक्षा में नियमित उपस्थिति दर्ज करायी.

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