डॉ संतोष कुमार झाहोमियोपैथिक डॉक्टरस्पॉन्डिलाइटिस से सावधान रहने की जरूरत है. लाइफ स्टाइल में बदलाव के कारण यह बीमारी लोगों को अपनी चपेट में ले रही है. इसमें मुख्यत: स्पाइन प्रभावित होता है. आमतौर पर यह 40 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को प्रभावित करती है. स्पॉन्डि का अर्थ स्पाइन व लाइटिस का अर्थ समस्या है. स्पाइन की समस्या को ही स्पॉन्डिलाइटिस कहा जाता है. यह बीमारी एक्सिडेंट, लाइफ स्टाइल में बदलाव, सही समय पर भोजन न करने, घंटों कम्पयूटर व लैपटॉप पर काम करने, ज्यादा तनाव लेने आदि के कारण होती है. स्पॉन्डिलाइटिस मुख्यत: दो प्रकार की होती है. पहला सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस व दूसरा लम्बर स्पॉन्डिलाइटिस. सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस में गर्दन में दर्द, जो सरवाइकल को प्रभावित करता है. यह दर्द, गर्दन के निचले हिस्से, दोनों कंधे, कॉलर बोन और कंधों के जोड़ तक पहुंच जाता है. इसके कारण गर्दन को घुमाने व हाथों को उठाने में दिक्कत होती है. वहीं, लंबर स्पॉन्डिलाइटिस होने के कारण कमर का एरिया प्रभावित होता है, कमर, कूल्हे, जोड़ में दर्द, सोने में दिक्कत, पांव का न उठा पाना, पांव में झिनझिनाहट आदि होते हैं. होमियोपैथिक दवाओं से भी इस बीमारी का निदान संभव है. इसके साथ ही अच्छी लाइफ स्टाइल, स्ट्रेस न लेने, सही समय पर भोजन न करने व सही दिनचर्या के कारण भी यह बीमारी होती है. बीमारी : स्पॉन्डिलाइटिस. लक्षण : गर्दन के निचले हिस्से, दोनों कंधे, कॉलर बोन और कंधों की जोड़ में दर्द. गर्दन घुमाने में दिक्कत व हाथों को उठाने में दिक्कत. कूल्हे व जोड़ों में दर्द, सोने में दिक्कत, पांव नहीं उठ पाना व झिनझिनाहट. बचाव : लाइफ स्टाइल दुरुस्त करें, स्ट्रेस से बचें, सही समय पर भोजन करें.
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खराब लाइफ स्टाइल से भी हो सकती है स्पॉन्डिलाइटिस
डॉ संतोष कुमार झाहोमियोपैथिक डॉक्टरस्पॉन्डिलाइटिस से सावधान रहने की जरूरत है. लाइफ स्टाइल में बदलाव के कारण यह बीमारी लोगों को अपनी चपेट में ले रही है. इसमें मुख्यत: स्पाइन प्रभावित होता है. आमतौर पर यह 40 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को प्रभावित करती है. स्पॉन्डि का अर्थ स्पाइन व लाइटिस का अर्थ […]
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