मनीष सिन्हा
जमशेदपुरः बाबूलाल मरांडी की सरकार ने बेरोजगार आदिवासी युवकों के उत्थान के लिए एक योजना बनायी थी. उस समय कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा थे. मेसो परियोजना के तहत 10 लोगों का समूह बना कर उन्हें अनुदान पर बस प्रदान की गयी थी. तब युवक बहुत खुश थे कि अब वे आत्मनिर्भर हो जायेंगे. मगर देखरेख के अभाव और सरकार से सहयोग न मिलने के कारण अधिकांश बसें खड़ी हो गयीं. युवक फिर सड़क पर आ गये. वे लाखों के कर्जदार हो गये. इन बसों पर लाखों रुपये का टैक्स बकाया है.
खराब नीति के शिकार हो गये : अर्जुन टुडू
झारखंड आदिवासी बेरोजगार लाभुक समिति के अध्यक्ष अर्जुन टुडू के अनुसार सरकार की गलत नीतियों के वे लोग ( बेरोजगार) शिकार हो गये. जिस समय अनुदान पर बस दी जा रही थी, उस समय बेरोजगारों में आशा जगी थी कि उसके दुख अब दूर होंगे. वह शीघ्र ही आत्मनिर्भर बन जायेंगे. सरकार ने 10 लोगों का समूह बना कर बस दिया था. इसमें सात पुरुष व तीन महिलाएं थीं.
शुरुआत में बस ठीक-ठाक चली. मगर पुराना होते ही मेंटेनेंस मांगने लगी. साथ ही स्टैंड में शुल्क व चंदा देना पड़ता था. इसके बाद 10 लोगों के लायक रकम बचती नहीं थी. समय पर टैक्स भी जमा नहीं हो पाता था. यही कारण है कि धीरे-धीरे सारी बसें खड़ी हो गयीं.
श्री टुडू के अनुसार पूरे कोल्हान में लगभग 90 बसें खड़ी हैं. पूर्वी सिंहभूम में 6-8 बसें चल रही हैं. स्वयं उन्होंने 2002 से 2007 तक बस चलायी. इसके बाद कागजात फेल होने और टैक्स बकाया होने के कारण उनकी बस जब्त कर ली गयी और साकची थाना मंे खड़ी है. टैक्स जमा करने के बाद भी गाड़ी नहीं छूटी और उन्होंने कागजात सरेंडर कर दिया. गाड़ी नहीं चलने के बाद भी आखिर टैक्स कैसे बकाया है.