नोट- डॉक्टर की फोटो की जा चुकी है, कृपया कर के फोल्डर से ले लेंडॉ. ललित मिंज, प्लास्टिक सर्जन बर्न इंज्यूरी में फर्स्ट एड मेनेजमेंट है कारगरलाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुर स्कीन को होने वाले बीमारियों में से सबसे सामान्य बर्न इंज्यूरी भी है. बर्न इंज्यूरी के होने के कारणों की बात की जाये तो यह सुसाइडल, होमिसाइडल व सामाजिक कारणों की वजह के साथ साथ एक्सिडेंटल कारणों की वजह से भी हो सकती है. इस बीमारी के होने से देखा गया है कि मरीज का शरीर जल जाता है, स्कीन का रंग डीप ब्राउन कलर हो जाता, मरीज को सदमा लगता है. बचाव की बात की जाये तो ऐसा दिखायी देने पर जल्द से जल्द मरीज को डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए. मरीज के शॉक मैनेजमेंट को कंट्रोल करना चाहिए. वहीं शरीर का जितना भाग जला होता है उसी के हिसाब से मरीज का ट्रीटमेंट किया जाता है. इस बीमारी में फर्स्ट एड मैनेजमेंट भी काफी ज्यादा कारगर होता है. यदि कोई आग की चपेट में आ जाये तो सबसे पहले पीडि़त व्यक्ति के शरीर पर कंबल डाल कर ढक देना चाहिए ताकि आग बुझ जाये, यदि शरीर के छोटे भाग में आग लगी हो उसे रनिंग वाटर में करीब 15 मिनटों तक रखना चाहिए, ताकि जलन कम हो व जख्म की गहराई भी कम हो. इसके साथ ही मरीज को जल्द से जल्द डॉक्टर के पास लेकर जाने की तैयारी करनी चाहिए. बीमारी- बर्न इंज्यूरीलक्षण- मरीज का शरीर जल जाता है, स्कीन का रंग डीप ब्राउन कलर हो जाता, मरीज को सदमा लगता है. उपाय- कोशिश करनी चाहिए कि जल्द से जल्द मरीज को डॉक्टर के पास लेकर जाया जा सकें.
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नोट- डॉक्टर की फोटो की जा चुकी है, कृपया कर के फोल्डर से ले लेंडॉ. ललित मिंज, प्लास्टिक सर्जन बर्न इंज्यूरी में फर्स्ट एड मेनेजमेंट है कारगरलाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुर स्कीन को होने वाले बीमारियों में से सबसे सामान्य बर्न इंज्यूरी भी है. बर्न इंज्यूरी के होने के कारणों की बात की जाये तो यह सुसाइडल, होमिसाइडल […]
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