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वार्ता की धीमी रफ्तार से मायूसी

जमशेदपुर: शहर की कई प्रमुख कंपनी में ग्रेड रिवीजन समझौता साल भर से भी ज्यादा समय से लंबित है. वार्ता की रफ्तार धीमी होने से कर्मचारियों में मायूसी छाती जा रही है. कंपनियों में ग्रेड लंबित होने के पहले से ही कमेटी मीटिंग, चार्टर ऑफ डिमांड्स तैयार करने जैसी कवायद शुरू हो जाती है, पर […]

जमशेदपुर: शहर की कई प्रमुख कंपनी में ग्रेड रिवीजन समझौता साल भर से भी ज्यादा समय से लंबित है. वार्ता की रफ्तार धीमी होने से कर्मचारियों में मायूसी छाती जा रही है.

कंपनियों में ग्रेड लंबित होने के पहले से ही कमेटी मीटिंग, चार्टर ऑफ डिमांड्स तैयार करने जैसी कवायद शुरू हो जाती है, पर ग्रेड रिवीजन समय पर नहीं होता है. वार्ता और प्रस्ताव के नाम पर उसे लटका कर रखा जाता है. कर्मचारियों का कहना है कि प्रत्येक वर्ष अधिकारियों का वेतन समय पर बगैर निगोसिएशन के बढ़ जाता है, पर कर्मचारी वर्ग में निगोसिएशन के नाम पर तीन साल पर भी यह कवायद पूरी नहीं हो पाती है.

ग्रेड पर प्रबंधन और यूनियन के प्रस्ताव में प्रारंभ में ही गैप रहता है, जो बाद में और लंबा हो जाता है. जबकि समझौता कितनी राशि पर होगा, यह प्रबंधन और यूनियन दोनों को पता रहता है. लाफार्ज में यूनियन का प्रस्ताव 8500 रुपये की बढ़ोतरी व कर्मचारी पुत्रों की बहाली है. प्रबंधन का प्रस्ताव 3450 रुपये की बढ़ोतरी है. तार कंपनी व जेम्को में यूनियन ने जहां 7500 रुपये की बढ़ोतरी का जोर लगाया है, वहीं प्रबंधन की ओर से 3800 रुपये की बढ़ोतरी का प्रस्ताव है.

टीएसपीडीएल में यूनियन का प्रस्ताव 18000 रुपये की बढ़ोतरी का है वहीं प्रबंधन 2750 रुपये पर अटका हुआ है. टाटा मोटर्स और टाटा कमिंस में यह अभी प्रारंभिक दौर में है.

ग्रेड की अवधि पर संशय
ग्रेड रिवीजन की अवधि तीन, चार या पांच साल की होगी, इस पर ही वार्ता सबसे अधिक प्रभावित हो रही है.

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