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जीवनदाता के अपराध की सजा काट रहे 184 मासूम

जमशेदपुर: राज्य की 26 जेलों में 184 मासूम बच्चे बंद हैं. जो झूला झूलने की उम्र में सलाखों के पीछे बचपन गुजारने को विवश हैं. ये वे मासूम हैं, जिन्होंने कोई अपराध नहीं किया और न ही किसी अदालत ने इन्हें सजा सुनायी. लेकिन ये अपने जीवनदाताओं के अपराधों की सजा जेल की चहारदीवारी में […]

जमशेदपुर: राज्य की 26 जेलों में 184 मासूम बच्चे बंद हैं. जो झूला झूलने की उम्र में सलाखों के पीछे बचपन गुजारने को विवश हैं. ये वे मासूम हैं, जिन्होंने कोई अपराध नहीं किया और न ही किसी अदालत ने इन्हें सजा सुनायी. लेकिन ये अपने जीवनदाताओं के अपराधों की सजा जेल की चहारदीवारी में रहकर काट रहे हैं.
जेल में रह रहे कई बच्चे तो ऐसे हैं जिन्होंने अब तक बाहर की दुनिया तो देखी ही नहीं. इन्होंने जेल में ही जन्म लिया और इनके माता-पिता आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. इसके चलते इन्हें अपने जीवन के छह साल जेल में ही बिताने होंगे.
बिगड़ रहा मासूमों का भविष्य
मासूमों की जिंदगी आम बंदियों की तरह ही कट रही है. इससे बच्चों का भविष्य बिगड़ रहा है. कई बच्चे ऐसे हैं जो पढ़ना चाहते हैं, लेकिन जेल की चहारदीवारी के अंदर की उनकी जिंदगी सिमट गयी है. हालांकि, जेल प्रंबधन इनके लिए पढ़ाई सहित भोजन व खेलकूद की व्यवस्था कर रहा है. लेकिन जेल अनुशासन के चलते इनके लिये सब कुछ बेकार है.
घाघीडीह जेल में भी 10 बच्चे : घाघीडीह सेंट्रल जेल में भी दस बच्चे बंद हैं. इसमें पांच लड़के और पांच लड़कियां शामिल हैं. इनमें एक बच्चा अपने दादा-दादी के साथ जेल में सजा काट रहा है. माता-पिता के न रहने से वह जेल में दादा-दादी के साथ रहने को विवश है.
घंटों की आवाज पर जागते हैं बच्चे : जेलों में बंद महिलाओं के साथ उनके बच्चे भी हर रोज भोर में घंटों की आवाज सुनकर जागते हैं. जेल में प्रत्येक घंटे पर घंटा बजाकर जेलकर्मियों को सतर्क रहने की हिदायत दी जाती है. घंटा बजने के बाद महिला बंदियों की गिनती कर जेल खोल दी जाती है.

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