टीम ने केबुल कंपनी की स्थिति की जानकारी ली. वहीं टीम ने प्रबंधन कमेटी और यूनियन पदाधिकारियों से बातचीत की. बताया गया कि कंपनी के संचालन की जिम्मेवारी किसी की नहीं है. कंपनी बीमार घोषित है. बीआइएफआर में इसकी सुनवाई चल रही है. टीम को बीआइएफआर और आयफर की कार्रवाई सहित दिल्ली हाइकोर्ट के आदेश की जानकारी दी गयी. टीम ने पाया कि मामला कोर्ट में लंबित है.
इस कारण इसपर किसी तरह का फैसला संभव नहीं है. मजदूर नेता राकेश्वर पांडेय, राम बिनोद सिंह समेत तमाम पक्षों से टीम ने राय ली. जानकारी लेने के बाद टीम लौट गयी. अब श्रम विभाग की टीम 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट संसद में रखेगी. राज्यसभा में मामला उठना साजिश : राम बिनोद. यूनियन नेता राम बिनोद सिंह ने बताया कि डॉ सीपी ठाकुर को यहां से कोई मतलब नहीं है. इसके बावजूद उन्होंने इस मुद्दे को क्यों उठाया. हम यहीं कह सकते हैं कि हमलोग इस मामले को लेकर कहीं नहीं गये हैं. जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो से इस मामले में मिले हैं. उन्होंने राज्यसभा में इस मामले को उठना साजिश बताया.