1365 स्थायी कर्मियों सहित 10 हजार कामगार बेरोजगार
चांडिल : चांडिल के हुमिद स्थित बिहार स्पंज आयरन कंपनी बंद हो गयी है. इससे कंपनी में कार्यरत 1365 स्थायी कामगारों के साथ–साथ लगभग 10 हजार ठेका मजदूर बेरोजगार हो गये हैं.
शुक्रवार की रात करीब दो बजे कंपनी गेट पर शट डाउन का नोटिस चिपका दिया गया. इसमें कंपनी के कर्मचारियों को कहीं और नौकरी तलाशने का सुझाव भी दे दिया गया है. कंपनी प्रबंधन इसका कारण कोयला और लौह आयस्क का आवंटन नहीं मिलना बता रहा है.
मजदूर यूनियन और कार्यरत कर्मचारियों को बिना सूचना दिये कंपनी बंद कर दिये जाने से कर्मचारियों में हताशा छा गयी है. कंपनी गेट पर नोटिस साटने के बाद सभी वरीय पदाधिकारी फरार हो गये हैं. कंपनी को बंद करने के साथ ही प्रबंधन ने पानी और बिजली की आपूर्ति भी बंद कर दी है. कर्मचारियों ने इसका विरोध
किया है. सूचना पर क्षेत्र के विधायक अरविंद कुमार सिंह, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुधीर महतो, भाजपा नेता साधु चरण महतो आदि वहां पहुंची और कंपनी के फैसले को गैर कानूनी बताया.
गैरकानूनी कदम : विधायक
क्षेत्र के विधायक अरविंद कुमार सिंह ने बिहार स्पंज आयरन कंपनी के अतिथिशाला में यूनियन के पदाधिकारियों और कर्मियों से बात की और कहा कि कंपनी का कदम गैरकानूनी है. इसकी वजह राज्य सरकार की गलत नीतियां है. सरकार को अब आर्थिक सहयोग कर कंपनी चलाने की पहल करनी चाहिए, ताकि क्षेत्र और कर्मचारियों का भविष्य न बिगड़े.
पानी और बिजली की आपूर्ति बंद करना कर्मचारियों पर अत्याचार है. श्री सिंह ने कहा कि सोमवार को वे एक प्रतिनिधिमंडल के साथ श्रम सचिव और मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे. कंपनी को बचाने के लिए आंदोलन भी किया जायेगा.
सुधीर महतो ने किया आग्रह
राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुधीर महतो ने इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री सह झामुमो सुप्रीमो सांसद शिबू सोरेन, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, मुख्य सचिव और उद्योग सचिव से फोन पर बात की. कंपनी में उत्पन्न स्थिति से अवगत कराते हुए उन्होने कंपनी के मालिक उमेश मोदी को रांची बुला कर कर्मचारियों के समक्ष उत्पन्न संकट के समाधान का आग्रह किया है.
बंद करना गलत : साधु
भाजपा नेता साधु चरण महतो ने कहा कि बगैर सूचना दिये कंपनी को बंद करना गलत है. कंपनी प्रबंधन की गलत नीतियों के कारण कंपनी की यह दुर्दशा हुई है. कंपनी के अतिथिशाला में यूनियन के पदाधिकारी और कर्मचारी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कंपनी प्रबंधन को कंपनी बंद करने की सूचना कर्मचारियों को छह माह पूर्व देना होगा और मजदूरों को उनका सभी प्रकार का लाभ देना होगा.
30 साल पुरानी कंपनी का हश्र
बिहार स्पंज आयरन कंपनी लिमिटेड की स्थापना चांडिल में वर्ष 1983 में हुआ था, जो भारत की पहली मर्चेट स्पंज आयरन प्लांट है. यहां उत्पादन वर्ष 1985 से प्रारंभ हुआ. यहां लौह आयस्क से स्पंज आयरन बनाया जाता था. कंपनी का तैयार स्पंज इस्पात कंपनियों को भेजा जाता था.
इस कंपनी में बिहार स्टेट इंडस्ट्रीयल डेफलपमेंट कॉर्पोरेशन, मोदी ग्रुप, जर्मन इनवेस्टमेंट एंड डेवलपमेंट कंपनी और इंटरनेशनल फाइनांस कॉर्पोरेशन (वाशिंगटन) का निवेश है. कंपनी की उत्पादन क्षमता सालाना 2.10 लाख मैट्रिक टन है. कंपनी का पांच मेगावाट का अपना पावर प्लांट भी है. इसे मोस्ट एफिसियेंट कोल बेस्ड प्लांट का खिताब भी मिल चुका है.
सैकड़ों परिवारों की रोजी–रोटी आफत में
कंपनी में कुल 600 स्थायी और 765 अस्थायी मजदूर कार्यरत हैं. सैकड़ों ठेका मजदूर भी काम करते थे. आस–पास के दर्जनों गांवों के लोगों को रोजगार मिला हुआ था. कंपनी के बंद होने से उनके और उनके परिवार के समक्ष भुखमरी की स्थिति पैदा हो जायेगी. मजदूरों ने बताया कि पिछले तीन माह के वेतन भी कंपनी प्रबंधन ने भुगतान नहीं किया था.
मैनेजमेंट ने रखा अंधेरे में
बिहार स्पंज आयरन वर्कर्स यूनियन के सचिव योगेश्वर बेसरा ने बताया कि मैनेजमेंट ने इस मुद्दे पर यूनियन को अंधेरे में रखा. प्रबंधन का यह रुख समझ से परे है. कंपनी आगे चालू होगी भी या नहीं, यह भी नहीं कहा जा सकता है. यूनियन ने इसकी जानकारी मुख्यमंत्री को दे दी है.