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अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस : शहीदों की याद में निकाली रैली (फोटो दूबेजी)

लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुरबांग्ला भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के लिए ढाका में 1952 हुए भाषा आंदोलन के दौरान शहीदों हुए लोगों की याद में बंगभाषियों ने शनिवार को 11 बजे सुबह रैली निकाली. बंगभाषियों ने भाषा की मान-मर्यादा बनाये रखने का संकल्प लिया. कार्यक्रम की शुरुआत झारखंड बंगभाषी समन्वय समिति के बैनर तले […]

लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुरबांग्ला भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के लिए ढाका में 1952 हुए भाषा आंदोलन के दौरान शहीदों हुए लोगों की याद में बंगभाषियों ने शनिवार को 11 बजे सुबह रैली निकाली. बंगभाषियों ने भाषा की मान-मर्यादा बनाये रखने का संकल्प लिया. कार्यक्रम की शुरुआत झारखंड बंगभाषी समन्वय समिति के बैनर तले समिति के साकची स्थित कार्यालय से हुई. रैली में हरा पाड़ सफेद साड़ी में बंगाली समाज की महिलाएं एवं कुरता-पायजामा में पुरुष शामिल हुए. रैली साकची गोलचक्कर से होते हुए डीसी कार्यालय तक पहुंची जहां डीसी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में बांग्ला को द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने, बांग्ला माध्यम की स्कूलों की शुरुआत करने, बांग्ला में किताबों की प्रिंटिंग कराने, बांग्ला एकादमी की शुरुआत करने आदि की मांग की गयी. इस मौके पर समिति के अध्यक्ष विकास मुखर्जी, महासचिव विश्वजीत मंडल, नेपाल दास, रीना घटक, वाणी मुखर्जी, असीम डे व साधु महतो आदि मौजूद रहे. गौरतलब है कि तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान व वर्तमान बंगलादेश में बांग्ला को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के लिए 21 फरवरी 1952 में ढाका व जगन्नाथ विश्वविद्यालय तथा ढाका मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने आंदोलन किया था. उन पर पाकिस्तान सरकार ने गोलियां चलवा दीं. 1956 में पाकिस्तान को बांग्ला को राजकीय भाषा का दर्जा देना पड़ा. भाषाई सौहार्द और समरसता को बढ़ावा देने के लिए 1999 में यूनेस्को ने 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस घोषित कर दिया.

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