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मृत व्यक्ति का गुर्दा हो रहा प्रत्यारोपण: डॉ के एन सिंह

फ्लैग- आइएमए व गंगा मेमोरियल अस्पताल का किडनी रोग पर सेमिनार – देश में हर साल मिलते हैं डेढ़ से दो लाख नये किडनी के मरीज – डायलेसिस के बजाय गुर्दा प्रत्यारोपण में कम खर्च संवाददाता, जमशेदपुरप्रत्यारोपण ही गुर्दा रोग का संपूर्ण इलाज है. वर्तमान में मृत व्यक्ति का गुर्दा का प्रत्यारोपण किया जा रहा […]

फ्लैग- आइएमए व गंगा मेमोरियल अस्पताल का किडनी रोग पर सेमिनार – देश में हर साल मिलते हैं डेढ़ से दो लाख नये किडनी के मरीज – डायलेसिस के बजाय गुर्दा प्रत्यारोपण में कम खर्च संवाददाता, जमशेदपुरप्रत्यारोपण ही गुर्दा रोग का संपूर्ण इलाज है. वर्तमान में मृत व्यक्ति का गुर्दा का प्रत्यारोपण किया जा रहा है. गुर्दा रोग के मरीज को सप्ताह में दो-तीन बार डायलेसिस करना पड़ता है. साल भर के डायलेसिस खर्च में गुर्दा का प्रत्यारोपण किया जा सकता है. उक्त बातें अपोलो अस्पताल (दिल्ली) से आये डॉक्टर के एन सिंह ने कही. वे शनिवार को साकची स्थित आइएमए बिल्डिंग में आइएमए व गंगा मेमोरियल अस्पताल की ओर से किडनी पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि आज गुर्दा के साथ लीवर व अन्य अंगों का प्रत्यारोपण हो रहा है. सेमिनार में आइएमए सचिव डॉ मृत्युंजय सिंह, अध्यक्ष डॉ आर पी ठाकुर, डॉ ललित मिंज, डॉ डी हांसदा, सहित शहर के कई डॉक्टर मौजूद थे. गुर्दा दान के बाद स्वस्थ्य रह सकता है व्यक्ति डॉक्टर के एन सिंह ने बताया कि गुर्दा दान करने के बाद व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है. गुर्दा दान करने वाला पांच से सात दिनों में स्वस्थ्य हो जाता है. ——– बीमारी, लक्षण व उपाय की दी जानकारी डॉ. केएन सिंह ने कहा कि सूगर, ब्लड प्रेशर, पत्थरी (किडनी स्टोन), अनुवांशिक कारणों और बिना डॉक्टरी सलाह के दवा लेने के कारण गुर्दे की बीमारी हो सकती है. गुर्दे की बीमारी होने से मरीजों को पेट में दर्द, पेशाब से खून का आना, उलटी आना, शरीर में सूजन, शरीर में खून की कमी इस प्रकार के लक्षण दिखायी देते हैं. शुरुआती दौर में इलाज से किडनी को खराब होने से बचाया जा सकता है.

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