(फोटो आयी होगी)माहेश्वरी मंडल में शिव पुराण कथा यज्ञ का छठा दिनजमशेदपुर : मंत्र स्वयं सिद्ध होते हैं. प्रतिकूल परिस्थितियों में इनकी साधना करने से विघ्नों का शमन होता है. लेकिन आचायार्ें द्वारा जीव की परिस्थितियों और काल के अनुसार इनका संधान होना चाहिए. जुगसलाई माहेश्वरी मंडल में चल रहे शिव पुराण कथा यज्ञ के सातवें दिन, शुक्रवार को कथा वाचक रामनिवासाचार्य ने द्वादश ज्योतिर्लिंग वर्णन और शिव रचितम प्रसंग की चर्चा करते हुए उक्त बातें बतायीं. माहेश्वरी मंडल और माहेश्वरी महिला मंडल के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे उक्त धार्मिक अनुष्ठान के तहत बोलते हुए आचार्य जी ने कहा कि एक महिला के लिए जीवन में संतान और संतान के पिता दोनों ही प्रिय होते हैं, लेकिन धर्म निर्वाहन के क्र म में उसे अपने सुहाग से प्रिय और हितकर कोई नहीं लगता. ईश्वर अपने हर भक्त की रक्षा के लिए देवलोक में भी विद्रोह करते हैं और भाग्य के लिखे लेख को बदलते हैं. लेकिन जीव को यह अवस्था तब मिलती है, जब वह निष्काम भाव एवं पूर्ण समर्थन के साथ साधना करे. इस अवसर पर विष्णु आगीवाल, बृजमोहन बागड़ी, जुगल माहेश्वरी और उमाशंकर आगीवाल, पवन काबरा, बालिकशन परवाल, शिव कुमार रमेश कुमार आगीवाल, मंगतू राम सारडा छीतरमल धूत, श्रवण देबुका, विजय तापिड़या, प्र ाद जाखोटिया, रामावतार आगीवाल, चंद्रकांता सारडा, संध्या आगीवाल, सीमा धूत, मधु सारडा, मंजू आगीवाल, अलका आगीवाल, अरु ण धूत आदि उपस्थित थे.आज होगा कथा का विश्राम शिव पुराण कथा यज्ञ का शनिवार को विश्राम होगा. इस कथा के विश्राम लेने के पश्चात् आयोजन स्थल पर पूर्णाहुति हवन के साथ शिव पुराण को शिव मंदिर में स्थापित किया जायेगा.
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मंत्र-साधना से होता है विघ्नों का शमन : रामनिवासाचार्य
(फोटो आयी होगी)माहेश्वरी मंडल में शिव पुराण कथा यज्ञ का छठा दिनजमशेदपुर : मंत्र स्वयं सिद्ध होते हैं. प्रतिकूल परिस्थितियों में इनकी साधना करने से विघ्नों का शमन होता है. लेकिन आचायार्ें द्वारा जीव की परिस्थितियों और काल के अनुसार इनका संधान होना चाहिए. जुगसलाई माहेश्वरी मंडल में चल रहे शिव पुराण कथा यज्ञ के […]
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