संवाददाता, जमशेदपुरइंटरनेशनल संताल काउंसिल एवं सिदो-कान्हू हूल अखड़ा में सोमवार को संताली भाषा विजय दिवस मनाया गया. इसके तहत समाज के बुद्धिजीवी व सामाजिक संगठन के कार्यकर्ता करनडीह चौक पर एकत्र हुए. इसके बाद ओलचिकि लिपि के जनक पंडित रघुनाथ मुर्मू की तसवीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी. इस दौरान इंटरनेशनल संताल काउंसिल के डीसी मुर्मू ने कहा कि 22 दिसंबर, 2003 को संताली भाषा को वैधानिक मान्यता मिली थी. इसलिए आज का दिन संताली भाषा-भाषी लोगों के लिए गौरवपूर्ण व ऐतिहासिक है. संताली भाषा को वैधानिक मान्यता के बाद इसकी अस्तित्व को बचाना समाज के हरेक व्यक्ति का दायित्व है. भाषा का प्रचार-प्रसार से लेकर लिपि को समृद्ध व विकसित करने के लिए सभी को चिंतन-मंथन करना जरूरी है. इस अवसर पर मुख्य रूप से केसी मुर्मू, डा. टी. माझी, विरोध हांसदा, राजाराम हांसदा, सुदाम हेंब्रम, भगीरथी सोरेन, खुदीराम मुर्मू, उमेश सोरेन, श्याम सी. टुडू समेत अन्य मौजूद थे.
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आदिवासियों ने मनाया संताली भाषा विजय दिवस – फोटो डीएस 1
संवाददाता, जमशेदपुरइंटरनेशनल संताल काउंसिल एवं सिदो-कान्हू हूल अखड़ा में सोमवार को संताली भाषा विजय दिवस मनाया गया. इसके तहत समाज के बुद्धिजीवी व सामाजिक संगठन के कार्यकर्ता करनडीह चौक पर एकत्र हुए. इसके बाद ओलचिकि लिपि के जनक पंडित रघुनाथ मुर्मू की तसवीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी. इस दौरान इंटरनेशनल संताल काउंसिल […]
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