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चड़ूई भांति और सिस्टम नेदर्शकों के दिल को छुआ (फोटो का पता नहीं चल रहा है)

सबुज कल्याण संघ में दो नाटकों का मंचनसंवाददाता. जमशेदपुर सबुज कल्याण संघ के विजय मंच पर शनिवार को दो नाटक ‘चड़ूई भांति’ और ‘सिस्टम’ नाटक का मंचन किया गया. दोनों नाटक की कहानी एक दूसरे से भिन्न होते हुए भी समाज की अवधारणाओं को दूर कर आंखें खोलने में कारगर साबित हुई. शनिवार को खड़गपुर […]

सबुज कल्याण संघ में दो नाटकों का मंचनसंवाददाता. जमशेदपुर सबुज कल्याण संघ के विजय मंच पर शनिवार को दो नाटक ‘चड़ूई भांति’ और ‘सिस्टम’ नाटक का मंचन किया गया. दोनों नाटक की कहानी एक दूसरे से भिन्न होते हुए भी समाज की अवधारणाओं को दूर कर आंखें खोलने में कारगर साबित हुई. शनिवार को खड़गपुर के अलकापस ग्रुप द्वारा चड़ूई भांति एवं वर्णपुर के दिशारी ग्रुप द्वारा सिस्टम ड्रामा की प्रस्तुति दी गयी. चड़ूई भांति : दो पड़ोसी देश के सिपाही जो अलग-अलग परिवेश एवं परिवार में पले बड़े होते हैं. उनकी मुलाकात रणभूमि में होती है. कुछ दिनों के बाद उसमें से एक सिपाही का परिवार पिकनिक बनाने के लिए बॉर्डर के पास आता है. वहां का माहौल देख कर वे भी युद्ध को समर्थन देने लगते हैं तभी उनकी मुलाकात दूसरे सिपाही से होती है जो उनसे पारिवारिक सदस्य जैसा व्यवहार करते हैं. बाद में उन्हें पता चलता है कि उक्त सिपाही दूसरे देश का है तब वे महसूस करते है कि युद्ध केवल गंदी सोच की उपज है और यह व्यर्थ है. सिस्टम : सिस्टम ड्रामा में सोसाइटी के व्यवहार एवं चरित्र को दर्शाया गया है कि किस तरह बहुत कम लोग इस सिस्टम में कुशल प्रबंधन का फायदा प्राप्त कर पाते हैं. जिसके चलते उन्हें बेरोजगारी, स्वास्थ्य, प्रशासनिक समस्या को झेलना पड़ता है. ड्रामा बताता है कि ज्यादातर लोग सिस्टम को फोलो नहीं करते है. सिस्टम ड्रामा के जरिये यह संदेश दिया गया है कि अगर हम सिस्टम को बदलना चाहते है तो इसके लिए सबसे पहले हमें खुद को बदलना होगा.

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