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गेहूं सुखाना हुआ मुश्किल

लोक आस्था का महापर्व छठ सोमवार को प्रथम संयम, नहाय खाय के साथ आरंभ हो जायेगा, किन्तु मौसम के बदले मिजाज ने व्रतियों की चिंता बढ़ा दी है. व्रतियों की चिंता का मुख्य कारण है इस व्रत की सर्वप्रमुख शर्त स्वच्छता एवं पवित्रता का पालन, जिसमें उन्हें संकट का सामना करना पड़ रहा है. रविवार […]

लोक आस्था का महापर्व छठ सोमवार को प्रथम संयम, नहाय खाय के साथ आरंभ हो जायेगा, किन्तु मौसम के बदले मिजाज ने व्रतियों की चिंता बढ़ा दी है. व्रतियों की चिंता का मुख्य कारण है इस व्रत की सर्वप्रमुख शर्त स्वच्छता एवं पवित्रता का पालन, जिसमें उन्हें संकट का सामना करना पड़ रहा है. रविवार सुबह से ही हो रही छिटफुट बारिश के कारण व्रतियों के लिए व्रत के मुख्य प्रसाद, ठेकुआ बनाने के लिए गेहूं धो कर सुखाने एवं व्रत के दौरान सोने के लिए बिछावन एवं ओढ़ना धोना-सुखाना हो रहा है. गेहूं या वस्त्र आदि धो देने पर वह समय पर सूख नहीं पायेगा. हर व्रती इस स्थिति से निपटने का उपाय खोज रहा है.

व्रत की सामग्रियों को ऐसे कर सकते हैं पवित्र
पं एके मिश्र ने इस संबंध में बताया कि गेहूं, बिछावन आदि धो कर सुखाना संभव नहीं लगता. ऐसे में हम ईश्वर से स्थिति में सुधार की प्रार्थना ही कर सकते हैं, किन्तु ऐसा नहीं हो पाये तो व्रतियों को वैकल्पिक मार्ग अपनाना चाहिए. उन्होंने बताया कि हर हिंदू के घर में गंगाजल तो रखा ही जाता है. व्रत के लिए लाये गेहूं को सुखाने के लिए साफ वस्त्र पर फैला कर उसके ऊपर गंगाजल की ग्यारह बूंदें ऊं गंगायै: नम:’ मंत्र का जाप करते हुए छिड़कें, इससे गेहूं पवित्र हो जायेगा.
गंगा सर्व पापनाशिनी हैं, ऐसा करने से गेहूं पवित्र हो जायेगा. यही विधि बिछावनों के साथ भी अपनायी जा सकती है. यदि गंगाजल भी नहीं हो तो तांबे के पात्र में स्वच्छ जल लेकर उसमें तुलसी के 9 या 11 पत्ते डाल कर उक्त जल पात्र को अपने हृदय के पास रख कर मां गंगा का आवाहन करने की मानसिकता से ‘ú गंगा मातै: नम:’ मंत्र का ग्यारह बार जाप करें, इसके बाद उक्त जल का गंगाजल के रूप में प्रयोग किया जा सकता है.

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