जमशेदपुर: ऐसे समय जब सोशल सेक्टर बड़े शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक में जॉब के अवसर मुहैया करा रहा है,जमशेदपुर के किसी एसटी छात्र ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में पिछले कई साल से दाखिले के लिए आवेदन तक नहीं किया.
महज 45 फीसदी अंक के साथ अगर कोई एसटी स्टूडेंट डीयू की प्रवेश परीक्षा में बैठ भी जाये तो उसे दाखिला मिलना तय है. दो चरणों की प्रवेश परीक्षा में लिखित परीक्षा और मौखिक साक्षात्कार होता है, दोनों में एसटी छात्रों के लिए रियायत है. चूंकि विश्वविद्यालय का कोटा भरता ही नहीं तो इसमें दाखिला मिलना ही है. जमशेदपुर के अलावा पूर्वी सिंहभूम, झारखंड, पड़ोसी राज्य ओड़िशा या छत्तीसगढ़ में एसटी स्टूडेंट की भारी तादाद के बावजूद वे आवेदन नहीं करते. जबकि यहां सोशल सेक्टर में काम पिछले एक दशक के दौरान काफी बढ़ चुके हैं. एनआरएचएम, मनरेगा, सीएसआर में ऐसे पेशेवरों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है.
‘प्रभात खबर’ ने इस विषय पर दिल्ली विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर(सोशल वर्क) डॉ नीना पांडेय से विस्तृत बात की. उन्होंने बताया डीयू के बारे में एक गलत धारणा है कि यहां पढ़ने के लिए अंगरेजी का काफी मजबूत होना जरूरी है. जबकि ऐसा नहीं है, यहां हिंदी और अंगरेजी दोनों भाषा में पढ़ाई होती है. यहां पर पेशेवर सोशल वर्कर्स चाहिए जिसके लिए सरकारी, निजी, कॉरपोरेट सेक्टर में कई नौकरियां हैं.
देश में आदिवासियों के विकास की बहस चलती है, ऐसे में हमारी जिम्मेवारी है कि हम उन छात्रों को आगे लायें जो इस समुदाय से हैं. वह पेशेवर बन कर जितना काम अपने समाज के लिए कर सकते हैं उतना कोइ नहीं कर सकता. झारखंड में इसकी काफी संभावनाये हैं. जमशेदपुर में एसटी स्टूडेंट हैं वह इसके लिए आवेदन कर सकते हैं. अगर एसटी स्टूडेंट अपना इनकम सर्टिफिकेट दे दे तो उसे नि:शुल्क पढ़ाने तक की व्यवस्था है.