जमशेदपुर: टाटा स्टील में एक बार फिर लौह अयस्क संकट का खतरा उत्पन्न हो गया है. ओड़िशा सरकार ने तो लौह अयस्क खदान के नवीकरण के लिए एक्सप्रेस ऑर्डर के जरिये फैसला दे दिया है, लेकिन झारखंड सरकार द्वारा इस पर अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है.
हालात यह है कि नोवामुंडी और उससे सटी काटामाटी माइंस के बंद होने की आशंका बढ़ गयी है. भारत सरकार के गजट के मुताबिक वृहद खनिज की खदान की लीज की अवधि अगर समाप्त हो जाती है, तो दो साल के अंदर लीज नवीकरण कराना होगा. राज्य सरकार अगर लीज नवीकरण नहीं करती है, तो खदान का लीज लाइसेंस फिर से समाप्त कर दिया जायेगा. झारखंड में टाटा स्टील का नोवामुंडी माइंस की लीज अवधि समाप्त हो चुकी है.
क्यों उत्पन्न हुआ संकट
खान अधिनियम 1960 के तहत यह प्रावधान था कि खदान की लीज का समय पूरा होने के एक साल पहले लीज नवीनीकरण के लिए अपना आवेदन देना होता था.
लीज नवीनीकरण को लेकर अगर राज्य सरकार कोई फैसला नहीं लेती है तो भी लीजधारक को लाइसेंस रिन्यूअल मान लिया जाता था, जिसको डिम्ड लीज माना जाता था. लौह अयस्क खनन की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एमबी शाह की अध्यक्षता में शाह कमीशन बनाया गया था. शाह कमीशन ने झारखंड, गोवा समेत अन्य माइनिंग वाले राज्यों का अध्ययन किया तो पाया कि एक भी खदान का लीज नवीनीकरण नहीं हुआ है. सभी डिम्ड लीज के आधार पर संचालित हो रहे हैं.
टाटा स्टील का मामला विचाराधीन : अरुण
राज्य के सचिव अरुण कुमार ने बताया कि टाटा स्टील का मामला विचाराधीन है. इस मामले को लेकर आवेदन दिया गया है. बहुत जल्द इस पर फैसला ले लिया जायेगा.
राज्य सरकार पर पूरा भरोसा : नरेंद्रन
टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन ने कहा कि यह संकट जरूर है. हम लोगों ने इसके लिए अपना आवेदन दिया है. कोशिश होगी समस्या का निराकरण सरकार के साथ मिलकर हो जायेगा. सरकार का भी इस दिशा में सकारात्मक रुख है. श्री नरेंद्रन ने कहा कि मुख्यमंत्री से मुलाकात भी की गयी है. मुख्यमंत्री ने भरोसा दिया है कि जल्द से जल्द समस्या का निराकरण कर देंगे.