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ठगे गये, तो कंज्यूमर फोरम में शिकायत करें

जम्मू-कश्मीर को छोड़ कर शेष भारत में प्रभावी है यह कानून जमशेदपुरः उपभोक्ताओं के अधिकार सुरक्षित रखने के उद्देश्य से भारतीय संसद ने 1986 में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट-1986 कानून बनाया. एक्ट बनने के बाद तीन स्तर पर इसका ढांचा तैयार किया गया है. जो केंद्र, राज्य और जिले में स्थापित किया गया है. केंद्र सरकार […]

जम्मू-कश्मीर को छोड़ कर शेष भारत में प्रभावी है यह कानून
जमशेदपुरः उपभोक्ताओं के अधिकार सुरक्षित रखने के उद्देश्य से भारतीय संसद ने 1986 में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट-1986 कानून बनाया.

एक्ट बनने के बाद तीन स्तर पर इसका ढांचा तैयार किया गया है. जो केंद्र, राज्य और जिले में स्थापित किया गया है.
केंद्र सरकार सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन कौंसिल का गठित करती है जिसके चेयरमैन केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री होते हैं.
वहीं राज्य सरकार स्टेट कंज्यूमर प्रोटेक्शन स्थापित करती है जिसके चेयरमैन राज्य सरकार में उपभोक्ता मामलों के मंत्री होते हैं. राज्य सरकार की जिम्मेवारी होती है हर जिले में कंज्यूमर रिड्रेसल फोरम स्थापित करने की. यहां 20 लाख रुपये तक के मामलों का निपटारा किया जाता है.

कब कर सकते हैं शिकायत
| तय मानक से कम सामग्री अगर दुकानदार देता है
| इलेक्ट्रोनिक सामान अगर अपनी वारंटी या गारंटी से पूर्व खराब होता है
| किसी भी प्रकार की आपत्ति होने पर दो साल के अंदर करनी होगी शिकायत
| जिला स्तर पर 20 लाख रुपये तक के मामले निपटाये जायेंगे
| इससे ऊपर स्टेट कौंसिल या सेंट्रल कौंसिल के पास मामला जायेगा
| आधिकारिक रूप से बिक रही सामग्री में अगर किसी उपभोक्ता से अधिक दर लिया गया या इसकी गुणवत्ता के साथ छेड़छाड़ हुआ
| सेवा प्रदाता कंपनियां मसलन मोबाइल, इंटरनेट, केबल, डिश से संबंधित किसी वादाखिलाफी या तय सेवा नहीं देने पर
| किसी भी व्यापारिक प्रतिष्ठान से खरीदे गये सामान अगर घोषित क्वालिटी के अनुरू प नहीं हो
| कोई भी उत्पाद खरीदने के बाद अगर उपभोक्ता को लगता है कि उसके साथ ठगी हुई है

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