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नौ सबलीज को ट्रांसफर की मिल सकती है सशर्त मंजूरी

* उपायुक्त ने कोल्हान आयुक्त को भेजी रिपोर्टजमशेदपुर : टाटा लीज के अंतर्गत साकची में पड़ने वाले नौ सबलीजधारियों को ट्रांसफर करने को सशर्त मंजूरी दी जा सकती है. उपायुक्त ने इसका सुझाव देते हुए कोल्हान के आयुक्त को एक रिपोर्ट भेजी है. टाटा स्टील द्वारा आइ ब्लास्ट फर्नेस की स्थापना की गयी है. इसके […]

* उपायुक्त ने कोल्हान आयुक्त को भेजी रिपोर्ट
जमशेदपुर : टाटा लीज के अंतर्गत साकची में पड़ने वाले नौ सबलीजधारियों को ट्रांसफर करने को सशर्त मंजूरी दी जा सकती है. उपायुक्त ने इसका सुझाव देते हुए कोल्हान के आयुक्त को एक रिपोर्ट भेजी है.

टाटा स्टील द्वारा आइ ब्लास्ट फर्नेस की स्थापना की गयी है. इसके अलावा कंपनी की क्षमता भी 9.7 मिलियन टन हो चुकी है. इसको देखते हुए साकची के ग्रेजुएट कॉलेज, सिंहभूम होम्योपैथी कॉलेज, एडीएल सनसाइन स्कूल, करीम सिटी कॉलेज, करीमिया ट्रस्ट समेत कुल नौ सबलीजधारियों को ट्रांसफर किया जाना है. इसके लिए साकची टैगोर सोसाइटी के सामने की जमीन चिह्न्ति की गयी है. टाटा स्टील ने इसके लिए आवेदन दिया था.

आवेदन के आलोक में कोल्हान आयुक्त राकेश कुमार ने उपायुक्त हिमानी पांडेय से रिपोर्ट मांगी थी, जो प्रेषित कर दी गयी है. उपायुक्त ने रिपोर्ट में कहा है कि नौ सबलीज धारियों को रिलोकेट किया जाना है. इसकी जांच करायी गयी तो पाया गया कि इस परियोजना को पर्यावरणीय मंजूरी (एनवायरमेंट क्लियरेंस) दे दी गयी है. सरकार और झारखंड प्रदूषण बोर्ड के साथ इसको लेकर एमओयू भी हुआ है.

उपायुक्त ने इस पर अपनी सहमति प्रदान करते हुए कहा है कि नौ सबलीज धारियों को नये स्थान पर रिलोकेट किया जा सकता है. साथ ही यह शर्त तय करने का प्रस्ताव भी दिया है कि नये स्थल पर सबलीज दिये जाने के मामले में आवंटित जमीन की मालगुजारी के निर्धारण के लिए वर्तमान नीति के तहत बाजार मूल्य के आधार पर आवासीय उपयोग के लिए दो फीसदी वार्षिक लगान के अलावा सेस और व्यावसायिक उपयोग के लिए पांच फीसदी वार्षिक लगान के अलावा सेस की दर से निर्धारित किया जाना उचित होगा.

यह भी प्रावधान तय किया है कि पूर्व से सबलीजधारियों द्वारा भूमि का लगान दिया जाता रहा है, उस दर के संरक्षण के बिंदु पर टाटा स्टील और सबलीजी के बीच अंडरस्टैंडिंग बना सकते हैं.

* जमीन का क्या इस्तेमाल होगा, यह स्पष्ट नहीं : डीसी
रिपोर्ट में उपायुक्त ने यह भी कहा है कि टाटा स्टील द्वारा 9.7 मिलियन टन की क्षमता विस्तारीकरण योजना का प्रस्ताव केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रलय से अनापत्ति के लिए समर्पित किया गया था.

उसमें इस बात का जिक्र है कि कंपनी अपनी चाहारदीवारी के अंदर 717 हेक्टेयर भूमि पर ही विस्तारीकरण करेगी जबकि वर्तमान प्रस्ताव में कंपनी की चहारदीवारी के भीतर के कार्यक्षेत्र की भूमि को झारखंड राज्य प्रदूषण निगम के कंसेंट टू ऑपरेट से सुरक्षा के दृष्टिकोण से जिन क्षेत्रों को खाली कराया जा रहा है और उन क्षेत्रों को कंपनी के अधीन कार्य क्षेत्र में लिये जाने का प्रस्ताव है, लेकिन उसका उपयोग किस प्रकार का होगा, यह स्पष्ट नहीं किया गया है और न ही यह बताया गया है कि वह क्षेत्र सुरक्षा के दृष्टिकोण से संरक्षित क्षेत्र होना उचित होगा या नहीं.

* अगर पूर्व के लगान को रखना चाहे तो टाटा स्टील और सबलीजी के बीच हो सकती है अंडरस्टैंडिंग
* सबलीजधारियों को बाजार मूल्य के आधार पर आवासीय और व्यावसायिक उपयोग के लिए दी जा सकती है जमीन
* टाटा स्टील के आसपास के नौ प्रतिष्ठानों को हटाने के प्रस्ताव पर आयुक्त को दी गयी रिपोर्ट

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