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छाेटे ही नहीं, बड़े अफसराें पर भी दर्ज करायी जाये प्राथमिकी

सरयू राय ने सारंडा में सड़क निर्माण पर सीएम काे लिखा पत्र जमशेदपुर : सारंडा रिजर्व फॉरेस्ट में गुआ से लेकर सिलाई तक सड़क निर्माण को लेकर खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने तत्कालीन पथ निर्माण सचिव और वर्तमान मुख्य सचिव राजबाला वर्मा पर निशाना साधा है. सारंडा में सड़क निर्माण के लिए कई पहाड़ […]

सरयू राय ने सारंडा में सड़क निर्माण पर सीएम काे लिखा पत्र

जमशेदपुर : सारंडा रिजर्व फॉरेस्ट में गुआ से लेकर सिलाई तक सड़क निर्माण को लेकर खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने तत्कालीन पथ निर्माण सचिव और वर्तमान मुख्य सचिव राजबाला वर्मा पर निशाना साधा है. सारंडा में सड़क निर्माण के लिए कई पहाड़ और सैकड़ों पेड़ काट डाले गये थे. सड़क निर्माण के लिए वन विभाग से अनुमति नहीं लिये जाने का आरोप है. यह निर्माण वर्ष 2015 में कराया गया था. तीन साल बाद मंत्री सरयू राय ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र लिख कर निर्माण पर आपत्ति दर्ज कराते हुए बड़े अफसराें पर प्राथमिकी दर्ज कराने का आग्रह किया है.
छाेटे ही नहीं, बड़े…
मंत्री ने मुख्यमंत्री रघुवर दास से कहा है कि उन्होंने उनकी कई मांगें मान ली है. अब इस मांग को भी मान ले, ताकि वन व पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने और फर्जीवाड़ा करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके. श्री राय सर्किट हाउस में संवाददाताआें से बात कर रहे थे.
सड़क के लिए कराया फर्जी सर्वे
सरयू राय ने बताया कि गुआ से सिलाई तक 31 किलोमीटर की सड़क में नौ किलोमीटर तक बिना अनुमति के ही 12 मीटर चौड़ी कर दी गयी, जबकि यहां कोई ट्रैफिक नहीं है. सारंडा के रिजर्व फॉरेस्ट में भी बिना वन एवं पर्यावरण विभाग की अनुमति के सड़क चाैड़ी की गयी. कई पहाड़ और पेड़ों को काट दिया गया. 2015 के दिसंबर में आपत्ति जताने के बाद निर्माण पर रोक लगा दी गयी. श्री राय ने कहा कि चौंकानेवाली बात यह है कि सड़क निर्माण कराने के लिए फर्जी तौर पर पथ निर्माण विभाग ने सर्वे करा कर सड़क पर यातायात का काफी दबाव होने की बात कही. उनकी आपत्ति के बाद निर्माण कार्य रोक दिया गया और मामले को पर्यावरणविद एनजीटी में ले गये.
छोटे अधिकारियों पर ही कार्रवाई
सरयू राय ने बताया कि मामला उजागर होने के बाद वन विभाग ने चार अलग-अलग केस दायर कराया, जिसमें पथ निर्माण विभाग के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, सहायक इंजीनियर और जूनियर इंजीनियर के अलावा ठेका कंपनी आरकेएस कंस्ट्रक्शन पर प्राथमिकी दर्ज की गयी. हर केस में छोटे अधिकारियों को ही आरोपी बनाया गया, जबकि काम कराने का आदेश देनेवाले वरीय अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. मामले में बड़े अधिकारियों पर भी प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए थी.
तीन साल बाद पत्र लिख कर दर्ज करायी आपत्ति, दोषियों पर कार्रवाई की मांग
वन विभाग से बिना अनुमति के बनायी गयी थी सड़क, तब राजबाला वर्मा थी सचिव
क्या कहा मंत्री ने
मुख्यमंत्री ने हमारी कई मांगें मान ली है, यह मांग भी मान ले

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