टाटा वर्कर्स यूनियन. कर्मचारियों की सुविधाओं पर लड़ा जायेगा इस बार का चुनाव
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बेहतर ग्रेड और वेतन बनेगा मुद्दा
टाटा वर्कर्स यूनियन. कर्मचारियों की सुविधाओं पर लड़ा जायेगा इस बार का चुनाव जमशेदपुर : टाटा स्टील के करीब 15 हजार कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली टाटा वर्कर्स यूनियन का चुनाव फरवरी में होना है. पक्ष या विपक्ष की राजनीति चाहे जो हो, लेकिन चुनाव कर्मचारियों के मुद्दे पर ही लड़ा जायेगा. टाटा स्टील में […]
जमशेदपुर : टाटा स्टील के करीब 15 हजार कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली टाटा वर्कर्स यूनियन का चुनाव फरवरी में होना है. पक्ष या विपक्ष की राजनीति चाहे जो हो, लेकिन चुनाव कर्मचारियों के मुद्दे पर ही लड़ा जायेगा. टाटा स्टील में वेज रिवीजन समझौता एक जनवरी 2018 से लंबित हो चुका है. वेज रिवीजन समझौता बेहतर हो, वेतनमान में बढ़ोतरी हो, कर्मचारियों को किसी तरह का कोई नुकसान न हो यही सवाल अब चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों से कर्मचारी पूछेंगे.
जीते तो पहली बार रवि करायेंगे वेज समझौता
अगर आर रवि प्रसाद व उनकी टीम इस बार चुनाव जीतती है तो उनको पहली बार वेज रिवीजन समझौता कराना कराने का अवसर मिलेगा. हालांकि पूर्व के ग्रेड रिवीजन में ( रघुनाथ पांडेय और पीएन सिंह के कार्यकाल में) वे कोषाध्यक्ष रहे थे, लेकिन बारगेनिंग में उनकी भूमिका नहीं थी. बेहतर बोनस और एलटीसी समझौता कराने का श्रेय आर रवि प्रसाद को मिला है. उनके साथ शहनवाज आलम का सहयोग भी उनकी टीम को समझौता कराने में मजबूती देता रहा है.
मजदूर हित में होगा फैसला : रवि.यूनियन अध्यक्ष आर रवि प्रसाद ने बताया कि हर फैसले में मजदूर हित का ख्याल रखा जायेगा.इस बार का वेज रिवीजन बेहतर हो इसका प्रयास करेंगे. एनएस ग्रेड से लेकर स्टील वेज और हर ग्रेड के कर्मचारियों को लाभ दिलायेंगे.
रघुनाथ व पीएन करा चुके है ंबेहतर वेज रिवीजन
टाटा स्टील का वेज रिवीजन समझौता पहली बार एनजेसीएस से अलग हटकर रघुनाथ पांडेय के कार्यकाल में 7 सितंबर 2010 को हुआ था. उस वक्त उन्होंने अपनी बारगेनिंग क्षमता दिखायी थी. वहीं, पूर्व अध्यक्ष पीएन सिंह के कार्यकाल में 9 अगस्त 2014 को वेज रिवीजन समझौता हुआ था. उस वक्त भी कई अहम फैसले ऐसे हुए थे जिसकी तारीफ हुई थी. इस टीम में बारगेनिंग में संजीव चौधरी टुन्नू डिप्टी प्रेसिडेंट की भूमिका में थे.
पीएन सिंह के कार्यकाल में हुई थी बढ़ोतरी
पीएन सिंह के कार्यकाल में 9 अगस्त 2014 को समझौता हुआ था, जो एक जनवरी 2012 से लागू हुआ था
वर्करों का न्यूनतम मूल वेतन 16,080 रुपये व अधिकतम 47,850 रुपये की बढ़ोतरी हुई थी
रात्रि पाली भत्ता 95 रुपये से बढ़कर 125 रुपये हो गया था
पहली बार यूटिलिटी भत्ता 300 रुपये प्रतिमाह किया गया
क्वार्टर अलाउंस मूल वेतन का 10 फीसदी
दोपहिया रख-रखाव भत्ता सुपरवाइजरों के लिए 160 रुपये से बढ़ा कर 220 रुपये किया गया था
पीएन सिंह के कार्यकाल में हुई थी बढ़ोतरी
पीएन सिंह के कार्यकाल में 9 अगस्त 2014 को समझौता हुआ था, जो एक जनवरी 2012 से लागू हुआ था
वर्करों का न्यूनतम मूल वेतन 16,080 रुपये व अधिकतम 47,850 रुपये की बढ़ोतरी हुई थी
रात्रि पाली भत्ता 95 रुपये से बढ़कर 125 रुपये हो गया था
पहली बार यूटिलिटी भत्ता 300 रुपये प्रतिमाह किया गया
क्वार्टर अलाउंस मूल वेतन का 10 फीसदी
दोपहिया रख-रखाव भत्ता सुपरवाइजरों के लिए 160 रुपये से बढ़ा कर 220 रुपये किया गया था
रघुनाथ पांडेय के कार्यकाल में मिलीं सुविधाएं
न्यूनतम मूल वेतन 8675 रुपये रात्रि पाली भत्ता 95 रुपये बढ़ा था
पहली बार यूटिलिटी भत्ता 300 रुपये प्रतिमाह किया गया, क्वार्टर एलाउंस न्यूनतम बढ़ोतरी 467 अधिकतम बढ़ोतरी 2000 रुपये हुई थी
दोपहिया रखरखाव भत्ता सुपरवाइजर को 1900 रुपये, वर्कर को 1800 रुपये
कार एलाउंस 3100 रुपये सुपरवाइजर, 2700 रुपये वर्कर को
एरियर की राशि का जनवरी 2011 में भुगतान हुई थी
एजुकेशन भत्ता 175 रुपये से बढ़कर 275 रुपये हुआ था
एलाउंस-1 दिसंबर 2009 से लागू हुआ था
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