सर्दी में सितम. आरटीइ का हो रहा खुलेआम उल्लंघन, मासूमों को मूलभूत सुविधाओं से रखा जा रहा है वंचित
कहते हैं कि बच्चे ही देश का भविष्य हैं. और इस भविष्य (बच्चों) को हांड़ कंपाने वाली ठंड के बीच जमीन पर बैठा कर ककहरा पढ़ाया जा रहा है. जब बड़े लोग गर्म कपड़े और आग के सहारे रहते हैं, तब इन बच्चों को बिना स्वेटर और जूते-मोजे के नंगे पांव स्कूल में कंपकंपाना पड़ता है. गुरुवार को प्रभात खबर की टीम ने शहर के विभिन्न इलाकों के छह स्कूलों में जाकर वहां की स्थिति देखी.
दरअसल, नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम में छह से चौदह वर्ष तक के बच्चों को शिक्षा के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के प्रावधान है. जमीन व भवन की कमी के कारण पहले से मूलभूत सुविधाओं की कमी झेल रहे जमशेदपुर के कई स्कूलों को डेस्क-बेंच तक आपूर्ति नहीं की गयी है. झारखंड शिक्षा परियोजना के पूर्वी सिंहभूम कार्यालय की ओर से दावा किया जा रहा है कि कोई भी स्कूल इन सुविधाओं से वंचित नहीं है. हकीकत इसके ठीक उलट है.
कमरे में ठंड से कांपने लगे बच्चे, तो धूप में लगी क्लास
जमशेदपुर : परसुडीह क्षेत्र के हलुदबनी पाड़ा टोला माझी कुल्ही प्राथमिक विद्यालय गुरुवार को समय पर खुला. स्कूल में बच्चे समय से पहले ही पहुंच गये थे, लेकिन ठंड होने की वजह से बच्चे प्लास्टिक का बोरा बिछाकर स्कूल के बाहर पढ़ रहे थे. स्कूल की शिक्षिका भी बच्चों के साथ धूप सेंकते हुए बच्चों को पढ़ा रही थी. जानकारी के अनुसार स्कूल की दूसरी शिक्षिका बीआरसी में ट्रेनिंग के लिए गयी हुई थीं. स्कूल में बच्चों की संख्या 71 है, लेकिन 27 बच्चे ही स्कूल पहुंचे थे.