जमशेदपुर: डैडी मेरे बर्थडे पर मुझे मोबाइल नहीं आप चाहिए. आप इस तरह से हमलोगों को अकेले छोड़कर नहीं जा सकते हैं. आर्मी मैन ऐसा काम नहीं करते हैं डैडी, फिर आप क्यों ऐसा काम कर रहे हैं. आपने तो जाने से पूर्व मुझसे वादा किया था कि तुम्हारे बर्थ डे पर आऊंगा, लेकिन आप तो हमलोगों को छोड़ कर हमेशा के लिए जा रहे हो. ये तो चिटिंग है.
यह बात राणा प्रताप की छोटी बेटी प्रिया सिंह अपने पिता के पार्थिव शरीर से लिपट कर रोते हुए कह रही थी. इतना कहने के बाद वह बेहोश हो गयी, परिवार के लोगों ने उसके चेहरे पर पानी का छींटा मारकर होश में लाया. होश में आने के बाद फिर से वह अपने पिता के पार्थिव शरीर से लिपट कर रोने लगी. वहीं दूसरी ओर बड़ी बेटी प्रियंका सिंह भी अपने आप को रोक नहीं पायी.
वह भी चित्कार मारकर रो पड़ी. थाेड़ी देर रोने के बाद प्रियंका भी बेहोश हो गयी. मंगलवार की शाम करीब 7.30 बजे राणा प्रताप सिंह के पार्थिव शरीर को सीआरपीएफ 133 बटालियन के जवान और पदाधिकारी उनके आवास टेल्को लेकर पहुंचे, जहां पूर्व से ही रैफ 106 के पदाधिकारी और जवान मौजूद थे. हवलदार के पार्थिव शरीर को उनके आवास के आंगन में रखा गया. फिर ताबूत से निकालने के बाद पार्थिव शरीर को दर्शन के लिए रखा गया. विधि पूरा होने के बाद सुवर्णरेखा बर्निंग घाट के लिए अंतिम यात्रा निकाली. अंतिम यात्रा में सीआरपीएफ के जवान और टेल्को पुलिस मौजूद थी.
पत्नी, बेटी और बहन हुई बेहोश. पार्थिव शरीर के आंगन में आने के साथ ही पत्नी, दोनों बेटी अाैर बहन बार-बार बेहोश हो रही थी. परिवार के लोग बार-बार उन लोगों के चेहरे पर पानी का छिंटा मार कर होश में ला रहे थे, लेकिन थोड़ी देर बाद सभी फिर से बेहोश हो जा रहे थे. वहीं दूसरी ओर छोटी बेटी का तबीयत सुबह से तीन बार खराब हो चुकी थी. उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन वह जिद करके अस्पताल से घर आ गयी.
तीन माह पूर्व आये थे घर. परिजनों ने बताया कि तीन माह पूर्व वे घर आये थे, लेकिन छुट्टी ज्यादा नहीं होने के कारण सात दिन में ही वापस लौट गये. राणा प्रताप की बड़ी बेटी प्रियंका आरवीएस इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ती है, वहीं छोटी बेटी प्रिया वैली व्यू स्कूल के कक्षा दसवीं की छात्रा है. हवलदार राणा प्रताप सिंह के छोटे भाई जेपी सिंह ने बताया कि वे एक अप्रैल 1994 को सीआरपीएफ में बहाल हुए थे. उन्होंने अपनी ड्यूटी के दौरान असम, नागालैंड, मिजोरम, मणिपुर, श्रीनगर, जम्मू में पदस्थापित रहे. उनके पिता राजकिशोर सिंह भी भारतीय सेना में थे. सेना में सेवा की अवधी समाप्त होने के बाद उन्होंने टाटा मोटर्स में भी सुरक्षाकर्मी के पद पर कार्य किया था. पार्थिव शरीर के पहुंचने के पूर्व टेल्को थाना प्रभारी शंकर ठाकुर, आरएएफ 106 के इंस्पेक्टर एमके मुंडा, सुजीत कुमार, एके सिंह व नीरज सिंह समेत कई जवान और पदाधिकारी घर पहुंचे और परिवार के लोगों को सांत्वाना दी.
भौजी के काहे छोड़ के जात बाड़ा हो भइया
भौजी के काहे छोड़ के जात बाड़ा हो भइया. अब बबुनी और भौजी अकेले कइसे रहियन हो भइया. एक बार तु जाग के बोल द. हमनी से का गलती हो गइल कि तु सबके छोड़ के चल गइल. अपने बड़े भाई के पार्थिव शरीर को देख उनकी छोटी बहन अपने आप को रोक नहीं पायी. वह भाई के पार्थिव शरीर से लिपट कर रो-रो कर यह कह रही थी. राेने के क्रम में वह पुरानी बातों को बार-बार दुहरा भी रही थी. इस दौरान परिवार के सभी लोग रो रहे थे. वहीं पत्नी रीता सिंह अपने पति के पार्थिव शरीर से लिपट कर रो रही थी. उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है, लेकिन जब उन्हें पार्थिव शरीर के पास लाया गया तो वह अचानक से चित्कार मार रोने लगी.