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रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट के कारण बिल्डर व खरीदार परेशान, जमशेदपुर में एक हजार बिल्डिंग प्रोजेक्ट रुके
जमशेदपुर: रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट (रेरा) की वजह से जमशेदपुर और आसपास के इलाके में करीब एक हजार बिल्डिंग प्रोजेक्ट का काम रुक गया है. इनमें कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जिसका काम लगभग पूरा हो चुका है. बिल्डर या रियल इस्टेट डेवलपर उसे ग्राहकों को बेच चुके हैं और लोग वहां रह भी रहे हैं, […]
जमशेदपुर: रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट (रेरा) की वजह से जमशेदपुर और आसपास के इलाके में करीब एक हजार बिल्डिंग प्रोजेक्ट का काम रुक गया है. इनमें कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जिसका काम लगभग पूरा हो चुका है. बिल्डर या रियल इस्टेट डेवलपर उसे ग्राहकों को बेच चुके हैं और लोग वहां रह भी रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी नहीं किये जाने के कारण उन्हें रियल इस्टेट रेगुलेशन एक्ट के तहत नये सिरे से रजिस्ट्रेशन कराकर सर्टिफिकेट लेना होगा.
झारखंड सरकार की ओर से अधिसूचित रियल इस्टेट (रेगुलेशन एवं डेवलपमेंट) नियमावली-2017 के तहत यह प्रावधान किया गया है. नये नियमावली के कारण बिल्डर से लेकर फ्लैटों के खरीदार तक परेशान हैं. बड़ी संख्या फ्लैटों की कानूनी वैद्यता को लेकर नये सिरे से जांच कराकर सर्टिफिकेट लेने का संकट आ खड़ा हुआ है. इनमें से कई ऐसे हैं, जिनका कंप्लीशन सर्टिफिकेट 15-20 साल पहले ही दिये जाने के बाद भी उनका ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया है.
रेरा को लेकर पुनर्समीक्षा की जरूरत : कौशल
बिल्डर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कौशल सिंह ने कहा कि रेरा कानून की पुनर्समीक्षा करने की जरूरत है. दूसरे राज्यों ने पूरी हो चुकी बिल्डिंग प्रोजेक्ट या चल रही परियोजनाओं को रेरा से अलग रखने के बारे में छूट दी है. उसी तरह की छूट झारखंड में भी दी जाये.
क्या है हंगामा का कारण
झारखंड सरकार की ओर से अधिसूचित रियल इस्टेट (रेगुलेशन एवं डेवलपमेंट) नियमावली-2017 में प्रावधान है कि इस नियमावली के अधिसूचित होने तक जिन बिल्डिंग प्रोजेक्ट को ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट नहीं मिला है, उसे रेरा के तहत रजिस्ट्रेशन करना पड़ेगा. जाहिर है कि रजिस्ट्रेशन के बाद उन भवन परियोजनाओं की जांच हो सकती है, जिनमें से कई के 10-15 साल पूरे होने के कारण नियमों के पूरी तरह से पालन सुनिश्चित होने का संकट खड़ा हो सकता है.
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