मझगांव: कुमारडुंगी प्रखंड के कुलावा गांव के बासासाई निवासी जुमाल आल्डा की गर्भवती पत्नी टुरी कुई (45) व उसके नवजात बच्चे की शनिवार की सुबह नौ बजे मौत हो गयी. सात माह में ही प्रसव पीड़ा होने के दौरान गर्भवती टुरी कुई को अंधारी उप स्वास्थ्य केंद्र लाया गया था. गर्भवती की स्थिति देखकर एएनएम गायत्री कुमारी ने टुरी कुई को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) कुमारडुंगी रेफर कर दिया.
कुमारडुंगी सीएचसी में भी डॉ रामचंद्र सोरेन ने गर्भवती टुरी कुई को एक इंजेक्शन देकर तथा ब्लड सैंपल लेकर रेफर कर दिया. कुमारडुंगी सीएचसी से रेफर होने के बाद इलाज के लिए कहीं भी ले जाने के लिए मृत गर्भवती के पति के पास पैसा नहीं था. पैसे के अभाव में जुमाल अल्डा अपनी पत्नी को कुमारडुंगी सीएचसी से वापस घर लेकर आ गया.
घर में अपनी पत्नी को छोड़कर वह पैसे का इंतजाम करने बाहर चला गया. इस दौरान भारी बारिश हो रही थी् और गर्भवती दर्द से तड़प रही थी. करीब एक घंटे के बाद टुरी कुई ने एक मृत बच्चे को जन्म दिया. मृत बच्चे को जन्म देने के कुछ देर बाद दर्द से तड़पकर टुरी कुई ने भी दम तोड़ दिया. इस तरह से दो-दो सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं मिलने के कारण पहले बच्चा तथा फिर गर्भवती ने दर्द से तड़पकर दम तोड़ दिया.
रात में हुई थी प्रसव पीड़ा, ममता वाहन से सहिया लेकर आयी थी अस्पताल: मृत टुरी कुई को शुक्रवार की रात लगभग 11 बजे प्रसव पीड़ा हुई थी. प्रसव पीड़ा होने पर पति जुमाल आल्डा ने शनिवार की सुबह कुलावा गांव की सहिया सोनामी तिरिया को बुलाया था. सहिया ने ममता वाहन को फोन कर गर्भवती के घर बुलाया था. यहां से वे लोग गर्भवती को लेकर पहले अंधारी उप स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे. यहां इलाज नहीं मिलने के बाद वे लोग मृतका टुरी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे थे.
पैसे जुगाड़ कर लौटे पति की उजड़ चुकी थी दुनिया
पैसा का जुगाड़ कर पति घर लौटा तो, उसके सामने एक मृत बच्चा व उसकी पत्नी का शव पड़ा था. एक साथ दो-दो लाश देख कर पति जुमाल आल्डा पर दुखों का पहाड़ टूट गया था. पैसे का बंदोबस्त कर घर पहुंचने से पहले ही उसकी पत्नी व बच्चे ने दम तोड़ दिया था. मृत गर्भवती टुरी ने अपने सातवें बच्चे को जन्म दिया था. टुरी अपने पीछे बेलो आल्डा (12), जवानी आल्डा (10), शुरु आल्डा (08), पदानी आल्डा (06), पुत्र पराय आल्डा(03) व डेढ़ वर्षीय नंदी को छोड़कर गयी हैं.
गर्भवती टुरी कुई के शरीर में खून की कमी थी. पेट में पल रहे बच्चे के दिल का धड़कन 70 था. जबकि स्वस्थ बच्चे के दिल का धड़कन 150 होना चाहिए. ऐसी हालत देख गर्भवती को तुरंत उच्च केंद्र रेफर कर दिया.
डॉ रंजीत मुर्मू, चिकित्सक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुमारडुंगी.