जमशेदपुर : एमजीएम अस्पताल में पिछले दो दिन के अंदर दो बच्चों की मौत हो गयी. इसे मिलाकर पिछले चार माह के अंदर 166 बच्चों की मौत हो चुकी है. जानकारी के मुताबिक 26 अगस्त को एनआइसीयू में एक नवजात की इलाज के दौरान मौत हो गयी. बड़बिल निवासी दंपती का उक्त बच्चे का वजन काफी कम था.
वहीं 27 अगस्त को एक 10 साल के एक बच्चे की मौत हो गयी. वह एचआइवी से भी पीड़ित था. गौरतलब हो कि एमजीएम में हुई बच्चों की मौत को लेकर स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर इन चीफ सुमंत मिश्रा ने हाल ही में एमजीएम अस्पताल का निरीक्षण किया था तथा मौत के कारणों की जांच की थी. इस दौरान कई तरह की कमियां भी पायी थी, लेकिन अब तक उसे दूर नहीं की गयी.
संसाधन की कमी झेल रहा है एनआइसीयू. एमजीएम के शिशु वार्ड में स्थित एनआइसीयू में 28 दिन तक के बच्चों को रखा जाता है. इसमें लगे छह में से दो वार्मर अभी भी खराब है. इनमें 11 बच्चों का इलाज किया जा रहा है. यानी एक वार्मर में तीन शिशु का इलाज किया जा रहा है. इससे नवजात में इंफेक्शन फैलने की डर बना रहता है. एनआइसीयू में अधिकतर कम वेट वाले बच्चे आते हैं जिनकी स्थिति काफी खराब रहती है. इधर एनआइसीयू व पीआइसीयू में डॉक्टर व नर्स की कमी है.
यहां मेडिकल ऑफिसर नहीं है. सिर्फ छह डॉक्टर वार्ड से लेकर एनआइसीयू व पीआइसीयू में इलाज करते हैं. वार्ड को छोड़ दिया जाये, तो एनआइसीयू व पीआइसीयू में 13 नर्स काम रह रही है. एमसीआइ के गाइड लाइन के अनुसार चार बच्चे पर एक नर्स होना चाहिए. इस हिसाब से 13 और नर्स की जरूरत है. इतना ही नहीं यहां के शिशु वार्ड के चारों ओर गंदगी का अंबार लगा हुआ है. अस्पताल की सही ढंग से सफाई भी नहीं हो पा रही है. इससे वार्ड में इंफेक्शन फैलने का खतरा बना रहता है.