वर्ष 2011 का था मामला : बिष्टुपुर स्थित माइकल जॉन अॉडिटाेरियम में झामुमाे की केंद्रीय कार्य समिति की तीन दिवसीय बैठक थी. इसी बीच आचार संहिता लागू हाे गयी. जिला दंडाधिकारी की आेर से दाे घंटे में हॉल खाली करने आैर राजनीतिक प्रचार के लिए इस्तेमाल किये जा रहे बैनर-पाेस्टर-झंडाें काे हटाने का फरमान जारी हुआ. देर से हटाने के आराेप में केंद्रीय कार्य समिति के लिए बनायी गयी संयाेजक मंडली के खिलाफ नामजद मामला दर्ज किया गया. उस वक्त विद्युत वरण महताे बहरागाेड़ा से झामुमाे के विधायक थे आैर दुलाल भुइयां भी झामुमाे में ही थे.
अधिवक्ता जीसी बाराट बाबला ने बताया कि आचार संहिता लागू हाेने बाद बिष्टुपुर थाना में 4 जून 2011 काे सहकारिता पदाधिकारी सह आचार संहिता दंडाधिकारी टी केरकेट्टा के बयान पर उक्त सभी नामजद लाेगाें के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. उनके खिलाफ आराेप लगाया गया था कि झामुमाे सुप्रीमाे शिबू साेरेन का पाेस्टर उपायुक्त कार्यालय के सामने सार्वजनिक स्थल पर लगा हुआ था, जाे अादर्श आचार संहिता उल्लंघन के दायरे में आता है.