प्रत्येक जिले में न्यायिक संस्था सीडब्ल्यूसी का गठन किया गया है. समाज कल्याण विभाग द्वारा गठित इस समिति में एक अध्यक्ष व दो सदस्य हैं. बाल श्रम से संबंधित मामले समिति को सौंप दी जाती है. यह बच्चे व अभिभावक की काउंसिलिंग करती है. यह खुद भी संज्ञान ले सकती है.
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बाल श्रम मुक्ति के लिए बना धावा दल
आदित्यपुर. सरायकेला-खरसावां जिले को बाल श्रम मुक्त जिला घोषित करने के लिए धावा दल का गठन किया गया है. इस दल में श्रम अधीक्षक राकेश कुमार सिन्हा, पुलिस पदाधिकारी, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी व बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्यों का शामिल किया गया है. यह दल घूम-घूम कर बाल श्रम के मामले की पड़ताल करेगा. […]
आदित्यपुर. सरायकेला-खरसावां जिले को बाल श्रम मुक्त जिला घोषित करने के लिए धावा दल का गठन किया गया है. इस दल में श्रम अधीक्षक राकेश कुमार सिन्हा, पुलिस पदाधिकारी, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी व बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्यों का शामिल किया गया है. यह दल घूम-घूम कर बाल श्रम के मामले की पड़ताल करेगा. इस संबंध में जानकारी देते हुए श्री सिन्हा ने बताया कि हरेक थाना के प्रभारी बाल संरक्षक पदाधिकारी बनाया गया.
परिवार का होता पुनर्वास : बाल श्रम के मामले में बच्चे को सीडब्ल्यूसी के माध्यम से उसके माता-पिता को सौंप दिया जाता है. साथ ही उसके परिवार के पुनर्वास की व्यवस्था की जाती है. परिवार के लिए सरकारी सहायता, रोजगार, राशन कार्ड, वृद्धावस्था या विधवा पेंशन आदि दिलवायी जाती है.
नियोजक को मिलेगी सजा
श्रम अधीक्षक श्री सिन्हा ने बताया कि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे काम लेने वाले नियोजक को सजा देने का प्रावधान है. इसमें नियोजक पर कार्रवाई करते हुए सर्वेच्च न्यायालय के आदेश पर उससे 20 हजार रुपये लेकर पीड़ित बच्चे के पुनर्वास के लिए देना है. साथ ही उस पर मुकदमा दर्ज होगा. जिसमें 20 से 50 हजार रुपये तक का जुर्माना व कैद का भी प्रावधान है.
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