10 लाख से अधिक का माल बाहर से राज्य में मंगाने पर निबंधन जरूरी हाेगा
जमशेदपुर : जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) को लेकर व्यापारी वर्ग की दुविधा व भ्रांतियां दूर करने के लिए प्रभात खबर ने शुक्रवार को चांडिल पंचायत भवन में ‘आइये समझें जीएसटी’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया. इसमें वाणिज्य कर विभाग के अधिकारी संजय कुमार गुप्ता और सिंहभूम चेंबर अॉफ कॉमर्स के पदाधिकारियों ने जीएसटी को लेकर व्यापारियों की दुविधा को दूर किया. कार्यशाला में वाणिज्य कर विभाग के संजय कुमार गुप्ता ने कहा कि वित्त वर्ष में अधिकतम 20 लाख रुपये का काराेबार करने वालों के लिए जीएसटी नंबर लेना अनिवार्य नहीं है. हालांकि उन्हें किसी तरह की छूट-आइटीसी का लाभ नहीं मिला.
बिना जीएसटी नंबर वाले व्यापारी से कारोबार करने वाले निबंधित व्यापारी को रिटर्न का लाभ नहीं मिल सकेगा. ऐसे में सभी व्यापारी निबंधन कराते हैं, तो उन्हें लाभ होगा. जिन्हें निबंधन रद्द कराना हाेगा, वे 30 जुलाई तक अॉनलाइन आवेदन दे सकते हैं. 25 से निबंधन व माइग्रेशन. वाणिज्य कर अधिकारी ने कहा कि जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स ) एक जुलाई से देशभर में लागू होगा. यह एक अप्रत्यक्ष कर है. 25 जून से एक बार फिर जीएसटी में निबंधन आैर माइग्रेशन शुरू किया जा रहा है.
जिन्होंने अबतक निबंधन नहीं कराया है, वे सहज व्यवसाय के लिए निबंधन जरूर करायें. इससे उन्हें लाभ हाेगा. वहीं सहयोगी कारोबारियों के साथ बेहतर रिश्ते बने रहेंगे. व्यापारी वर्ग व्यवस्था की रीढ़. श्री गुप्ता ने कहा कि जीएसटी को लेकर व्यवसायी वर्ग में कई भ्रांतियां हैं. इस संबंध में जिन्हें कम जानकारी हो, वो दुविधा को बढ़ा रहे हैं. व्यापारी व दुकानदार जानते हैं कि वे देश की आर्थिक व्यवस्था की रीढ़ हैं. वे नये कानून का सहज ढंग से पालन करेंगे. भ्रांतियाें काे दूर करने व
व्यवसायियाें काे वाणिज्य कर विभाग के अधिकारियाें से रू-ब-रू कराने के लिए प्रभात खबर ने अपने सामाजिक जिम्मेदारियाें का निर्वाह करते हुए सिंहभूम चेंबर अॉफ कॉमर्स के सहयाेग से कार्यशाला का आयाेजन किया. इ वे बिल दो माह टला. श्री केडिया ने बताया कि जीएसटी में इ वे बिल काे लेकर अभी फैसला नहीं हुआ है. इसे दाे माह के लिए टाल दिया गया है. 30 जून के पहले इसपर काेई फैसला जरूर हाे सकता है. इसपर फैसला नहीं हाेने की स्थिति में पूर्व की तरह राेड परमिट बनाने का प्रावधान हाेगा. सिंहभूम चेंबर अॉफ कॉमर्स ने इ वे बिल काे लेकर जीएसटी काउंसिल काे 15 से अधिक बार सुझाव दिये.
जी वैट 404 की परेशानी खत्म : मानव केडिया
सिंहभूम चेंबर अॉफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष मानव केडिया ने कहा कि जीएसटी काे लेकर व्यापारी वर्ग काफी जागरूक है. व्यवसायी वर्ग इसे गंभीरता से ले रहा है. लाेगाें के दिल-दिमाग में कुछ भ्रांतियां जरूर हैं. व्यवसायी इसे करीब से देखेंगे, ताे उन्हें पता चलेगा कि जीएसटी नियमों में अधिकांश का वे वर्षाें से पालन कर रहे हैं. पूर्व में भी कहा जाता था
कि स्टॉक की इंट्री रखें, बिक्री का हिसाब रखें, निबंधन करा लें. रिटर्न अॉनलाइन भरना है, जबकि इनवॉयस पहले के तरह जारी करना है. इनवॉयस दाखिल करना काफी आसान है. पूर्व में खरीदारी एस्सेमेंट के दाैरान जी वैट 404 के लिए परेशान हाेते थे, अब खरीद-बिक्री के साथ ही यह परेशानी खत्म हाे जायेगी. अधिकांश व्यापारी जी वैट 404 देना पसंद नहीं करते थे. इससे दाेनाें के बीच के रिश्ते भी खराब हाेते थे.
17 करों को समाहित कर बनाया गया जीएसटी
वाणिज्य कर विभाग के संजय कुमार गुप्ता ने कहा कि 17 कराें (टैक्स) काे समाहित कर जीएसटी बनाया गया है. इसमें तीन तरह के टैक्स- केटेगरी में लाेगाें काे अपने आप काे रखना है. इसके पूर्व लाेग गुड्स टैक्स, वैट, इंटरटेनमेंट टैक्स, लग्जरी टैक्स समेत कई टैक्स देते थे. अब सभी काे एक जीएसटी के रूप कर दिया गया है. पहले एक सामान पर कई बार कई तरह के टैक्स लगता था. जीएसटी में एेसा नहीं होगा.श्री गुप्ता ने कहा कि जीएसटी में कंपाेजिशन स्कीम का भी प्रावधान है. इसमें 75 लाख रुपये लिमिट तय है. इस स्कीम के तहत पांच प्रतिशत टैक्स का भुगतान करना हाेगा. पहले यह लिमिट 50 लाख रुपये था. ट्रेडवालाें के लिए एक प्रतिशत टैक्स तय है. छाेटे उद्याेग के लिए दाे प्रतिशत का टैक्स तय है. व्यवसायी याद रखें कि उन्हें टैक्स रिटर्न हर हाल में मिलेगा, हालांकि उन्हें रिटर्न सही ढंग से अॉनलाइन भरना है.