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UPSC 2019 Result : 42वां रैंक प्राप्त दीपांकर चौधरी ने कहा – प्रेरणा और शिक्षा सभी से लें, लेकिन सफलता की यूनिक होनी चाहिए कहानी

UPSC Civil Services Examination 2019 result : संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा, 2019 में हजारीबाग के दीपांकर चौधरी ने देश में 42वां रैंक प्राप्त किया. दीपांकर ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, बहन, जीजा के अलावा सभी शिक्षकों को दिया, जिनके मार्गदर्शन में उन्होंने इस सफलता को प्राप्त किया है. दीपांकर कहते हैं कि आप सभी से प्रेरणा लें और शिक्षा प्राप्त करें. जो रोल मॉडल हैं उनसे बात करें, लेकिन आपकी सफलता की कहानी यूनिक होनी चाहिए. अपने बल पर अलग पहचान की सक्सेस स्टोरी कायम करें.

UPSC Civil Services Examination 2019 result : हजारीबाग (सलाउद्दीन ) : संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा, 2019 में हजारीबाग के दीपांकर चौधरी ने देश में 42वां रैंक प्राप्त किया. दीपांकर ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, बहन, जीजा के अलावा सभी शिक्षकों को दिया, जिनके मार्गदर्शन में उन्होंने इस सफलता को प्राप्त किया है. दीपांकर कहते हैं कि आप सभी से प्रेरणा लें और शिक्षा प्राप्त करें. जो रोल मॉडल हैं उनसे बात करें, लेकिन आपकी सफलता की कहानी यूनिक होनी चाहिए. अपने बल पर अलग पहचान की सक्सेस स्टोरी कायम करें.

उन्होंने कहा कि संत जेवियर्स स्कूल ने उनके जीवन को ऊंचाई तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभायी है. जिस तरह किसी इमारत की नींव का महत्व है, उसी तरह 11 वर्ष (1997 से 2008 तक) जेवियर में प्राप्त शिक्षा अहमियत रखती है. दीपांकर के परिवार में पिता रंजन चौधरी, माता हीरा कुमारी के अलावा बहन पीयूषी शरद और डॉ प्रियदर्शी आदर्श हैं. वर्ष 2008 में संत जेवियर्स स्कूल से दसवीं पास की. इसके बाद डीपीएस आरके पुरम दिल्ली से 12वीं और वर्ष 2015 में दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बीटेक किया.

दीपांकर ने वर्ष 2016 और 2017 में यूपीएससी की परीक्षा में सफल नहीं हुए. वर्ष 2018 में 164वां रैंक लाकर आईपीएस बने. वर्ष 2019 में 42वां रैंक प्राप्त किया है. साक्षात्कार के लिए मार्गदर्शन चाणक्य आईएएस से प्राप्त किया. सिविल सेवा परीक्षा की चुनौतियों को लेकर उनसे बात की. पेश है बातचीत के प्रमुख अंश…

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सवाल : आईपीएस के बाद आईएएस की सफलता को किस तरह देखते हैं.

जवाब : वर्ष 2016 से यूपीएससी की परीक्षा दे रहा हूं. वर्ष 2018 में आईपीएस बना. केरल कैडर मिला है. वर्ष 2019 में 42वां रैंक पाकर आईएएस पाने में सफल रहा हूं. इच्छा है कि झारखंड कैडर मिले. आईपीएस में एक विभाग की जवाबदेही निभाना होता है. आईएएस में सरकार के प्रतिनिधि के रूप में काम करने का मौका मिलेगा.

सवाल : बीटेक के बाद यूपीएससी में पब्लिक एडमिनेस्ट्रेशन विषय का चयन क्यों किया.

जवाब : पब्लिक एडमिनेस्ट्रेशन की पढ़ाई से ऐसा लगा कि किसी परीक्षा के लिए तैयार हो रहा हूं. जिस क्षेत्र में काम करना है, वहां के बारे में इस विषय में काफी ज्ञान मिलता है. यह जरूरी भी है कि आप जहां जा रहे हैं, वहां के बारे में पता भी होना चाहिए. यह ज्ञान पब्लिक एडमिनेस्ट्रेशन की पढ़ाई के बाद मिला.

सवाल : आपकी सफलता के श्रेय में और किसकी भूमिका है.

जवाब : माता-पिता, बहन और जीजा जी जो हमारे प्रारंभिक समय से प्रेरण देते रहे हैं. संत जेवियर्स स्कूल के शिक्षक जिन्होंने सफलता और असफलता से मुकाबला करने की सीख दी. हमारे गाइड शिक्षक समर रंजन की अहम भूमिका है.

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सवाल : प्रशासनिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से आने पर क्या फायदा मिला.

जवाब : जब मैं स्कूल जाता था, तो मेरी पिता सदर एसडीओ प्रशासनिक पद पर कार्यरत थे. मां हमेशा कहती थी कि स्कूल में कोई शरारत नहीं करना, नहीं तो लोग कहेंगे कि एसडीओ के बेटे ने गलती की. इस बात को हमेशा सम्मान देता था. मेरे दादा स्वर्गीय जगदीश चौधरी जिला कृषि पदाधिकारी के पद से सेवानिवृत हुए थे. भौतिक विषय के विशेषज्ञ थे. सभी का कहीं न कहीं वैचारिक प्रोत्साहन मिला है.

सवाल : यूपीएससी की तैयारी के लिए पढ़ाई का तरीका कैसा था.

जवाब : वर्ष 2016 से यूपीएससी की तैयारी शुरू किया. रात 10 बजे सोना पसंद करता था. सुबह 5 बजे से पुन: पढाई शुरू हो जाती थी. दिनचर्या में सुबह में व्यायाम, शाम में दोस्तों के साथ एक घंटे घूमा करता था. बाकी समय पढ़ाई करता था.

सवाल : पढ़ाई के लिए और भी कोई शौक के बारे में बताएं.

जवाब : स्कूल के समय से ही गिटार बजाता हूं. कॉलेज बैंड टीम में भी भाग लेता था. उपन्यास पढ़ने में रुचि है.

सवाल : हजारीबाग से आपका कैसा लगाव है.

जवाब : हजारीबाग के गली मुहल्ले, कैफेटेरिया से लेकर कैनहरी पहाड़, जेवियर्स के मैडम पटनायक समेत सभी शिक्षकों और दोस्तों को हमेशा याद रखता हूं. सारे कुछ हजारीबाग से ही मिले हैं. यहां के लोग एक- दूसरे से बहुत घुलमिल कर रहते हैं.

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बेटे के लिए देख ली बहू : मां

दीपांकर की मां हीरा कुमारी बेटे के इस चयन पर काफी खुश है. कहती हैं कि मैंने बहू भी चुन लिया हूं. इंटरनेशन लॉ की पढ़ाई मुंबई से की है. बहू और बेटा सुकून की जिंदगी बिताएं, इसे ध्यान में रख कर पसंद किया हूं. बेटे के घर आने पर बहू चौखट में इंतजार करे, कभी बेटा कभी बहू एक- दूसरे के इंतजार में खुशी के साथ रहे.

बचपन से जरूरतमंदों की सेवा करता रहा है दीपांकर : पिता

पिता रंजन चौधरी ने कहा कि दिल्ली में एक बार फ्लैट के पास एक बुजृर्ग व्यक्ति गाड़ी पार्क नहीं कर पा रहे थे. दीपांकर ने अपनी गाड़ी से उतर कर पहले उस बुजुर्ग व्यक्ति का गाड़ी पार्क किया. बाद में मां को लेकर अस्पताल गया. पिता ने बताया कि बेटे का स्वाभाव जरूरतमंदों को मदद करना बचपन से रहा है.

Posted By : Samir Ranjan.

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