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राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस: वाहनों के धुएं व धूलकण से बड़कागांव वासी परेशान, बढ़ सकती है रोगियों की संख्या

jharkhand news: 2 दिसंबर को प्रदूषण नियंत्रण दिवस है. इसको लेकर सचेत करने की जरूरत है. उड़ते धूलकण व वाहनों से लगातार निकलते धुएं ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. हजारीबाग के बड़कागांव में तालाब और नदियां प्रदूषित हो चुकी है.

Jharkhand news: हर 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस (Pollution control day) मनाया जाता है. प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं, पर हजारीबाग जिला अंतर्गत बड़कागांव प्रखंड क्षेत्र में प्रदूषण नियंत्रण पर कोई कार्य दिख नहीं रहा है. यही कारण है कि बड़कागांव प्रखंड में वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण देखने को मिल रहा है. इस मामले शासन- प्रशासन भी बेखबर है.

बड़कागांव प्रखंड के गुरुचट्टी का दो तालाब, सांढ़ का पंडरी तालाब, चोपदार बलिया का तालाब, बड़कागांव का राम सागर तालाब व चंदौल के तालाब में गंदगी फैली हुई है. इसके अलावा पीपल नदी, सोनपुरा का नदी, झारिवा नदी, तरीवा नदी में लोगों को खुले में शौच करते देखा जाता है. इस कारण यह नदियां प्रदूषित हो चुकी है.

बड़कागांव व केरेडारी क्षेत्र में उड़ते धूलकण व वाहनों से निकलते धुएं से पर्यावरण प्रदूषित हो गया है. उड़ते धूलकण व निकलते धुएं से सड़कों के आसपास रहनेवाले ग्रामीणों को जीना मुश्किल हो गया है. अगर इस पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो इस क्षेत्र में दम्मा रोगियों की संख्या बढ़ सकती है.

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पहले एनटीपीसी द्वारा सड़कों में पानी की छिड़काव की जाती थी, लेकिन 2 वर्षों से पानी का छिड़काव नहीं हो रहा है. जिससे धड़कन व वायु प्रदूषण से लोग परेशान हैं. जहां एक ओर पूरे विश्व में पर्यावरण संरक्षण के लिए कई कदम अपनाये जा रहे हैं. वहीं बड़कागांव, केरेडारी व कटकमसांडी क्षेत्र में पर्यावरण का दोहन किया जा रहा है.

अगर अपनी आंखों से देखना हो, तो हजारीबाग-बड़कागांव भाया केरेडारी रोड होते टंडवा की यात्रा करें. इन सड़कों पर उड़ते धूलकणों एवं प्रदूषण की मार से झेल रहे लोग, जंगलों व घाटियों में पेड़-पौधे की कटाई से आप सभी रूबरू हो जायेंगे. कोल खदानों से कोयले की ट्रांसपोर्टिंग के कारण पेड़-पौधों की हरियाली खत्म हो जाती है. पेड़-पौधे काले दिखने लगते हैं, तो बिना हवा के भी धूलकण तूफान-सा उड़ते नजर आते हैं.

प्रदूषण के कारण धूलकणों से सूरज की किरणें भी फीकी नजर आती है. इन सब के बीच जिले का प्रदूषण विभाग इस बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर उदासीनता का रवैया अपना रहा है. हालांकि, बरसात के इन दिनों जब बारिश होती है, तो लोगों को उड़ते धड़कनों से राहत मिल जाती है. लेकिन, जैसे ही बारिश खत्म हो जाती है एवं धूप निकलने लगता है, तो धूलकण उड़ते नजर आता है. बड़कागांव प्रखंड में अधिकांश वाहनों का हॉर्न तेज निकलता है, जो ध्वनि प्रदूषण का द्योतक है.

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पानी छिड़काव करने की मांग

बड़कागांव के चमगढ़ा, मह टिकरा, कोरियाडीह, दैनिक बाजार, मुख्य चौक, अंबेडकर चौक, रेंज ऑफिस, पंकरी बरवाडीह व 14 माइल तक पानी के छिड़काव करने की मांग एनटीपीसी व त्रिवेणी सैनिक से ग्रामीणों ने की है.

Posted By: Samir Ranjan.

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