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ओके…बुकाड़ जंगल में लकड़ी की तस्करी

आये दिन होती है लाखों रुपये के लकड़ी की तस्करी11 हैज 80में- बुकाड़ के जंगल में तस्करी के लिए डंप किया गया बोटा.11 हैज 81में- लकड़ी को बाहर भेजने के लिए तस्करों द्वारा जंगल में खडा 407 वाहनचौपारण. प्रखंड के वन प्रक्षेत्र इन दिनों लकड़ी तस्करों के गिरफ्त में है. इन जंगलों से आये दिन […]

आये दिन होती है लाखों रुपये के लकड़ी की तस्करी11 हैज 80में- बुकाड़ के जंगल में तस्करी के लिए डंप किया गया बोटा.11 हैज 81में- लकड़ी को बाहर भेजने के लिए तस्करों द्वारा जंगल में खडा 407 वाहनचौपारण. प्रखंड के वन प्रक्षेत्र इन दिनों लकड़ी तस्करों के गिरफ्त में है. इन जंगलों से आये दिन लाखों रुपये की लकड़ी की तस्करी की जा रही है. इन जंगलों में अवैध रूप से कई आरा मशीन भी चलाये जा रहे हैं. इस तरह की लकड़ी बुकाड़ जंगल में कई स्थानों पर पड़े हैं. जंगल तस्करों ने इसे सेफ जोन बना रखा है. कहां है बुकाड़ जंगल : प्रखंड मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर की दूरी पर चारों तरफ जंगल, झाड़ व पहाड़ों के बीच उग्रवादियों के गोद में बसा है बुकाड़ गांव. इस गांव तक पहुंचने के लिए सियरकोनी से जंगल के अंदर पत्थरीला एक पगडंडी रोड गया है. जिससे होकर बुकाड़ गांव तक पहुंचा जा सकता है. यह जंगल उग्रवादियों के लिए भी सेफ जोन माना जाता है. 12 जनवरी 2015 में यहीं पर पुलिस की माओवादियों के साथ मुठभेड़ हुई थी. पुलिस ने तीन उग्रवादियों को मार गिराया था. नकद सहित भारी मात्रा में आर्म्स एवं नक्सली पुस्तकें बारामद करने में कामयाबी हासिल की थी.लकड़ी तस्कर गाड़ी पर लदा लकड़ी को बाहर भेजने के क्रम में कई स्थानों पर प्रशासन को वाच करते रहते हैं. इतना ही नहीं वन विभाग के कुछ लोगों का सीधा संबंध इन तस्करों से होने की खबर है. जिसके माध्यम से तस्करों को लोकेशन मिलता रहता है. पूर्व विधायक रामलखन सिंह तस्करों के विरुद्ध हमेशा प्रशासन को कोसते रहे हैं. पर लकड़ी तस्करी के गोरखधंधे पर अंकुश लगाने में प्रशासन कामयाब नहीं हो सकी है.

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