सदस्योें ने सीनेट के निर्णय की अधिसूचना पर आपत्ति दर्ज करायी, नहीं हुई संपुष्टिहजारीबाग. पूर्व सीनेट 24 अगस्त 2012 की बैठक में हुए निर्णय की संपुष्टि आज की सीनेट बैठक में नहीं हुई. सांवरमल अग्रवाल, डॉ धु्रव नारायण सिंह, डॉ आरपी श्रीवास्तव, सुबेदार पासवान, डॉ सरिता श्रीवास्तव समेत अन्य सदस्यों ने 11वीं बैठक में लिये गये निर्णयों के क्रियान्वयन में हुई देरी को लेकर खेद व्यक्त किया. इन्होंने कहा कि आधा से अधिक निर्णयों पर विश्वविद्यालय ने जुलाई 14 में अपनी अधिसूचना जारी की है. इससे पता चलता है कि विश्वविद्यालय सीनेट के निर्णय के क्रियान्वयन के मामले में गंभीर नहीं है. अधिसूचना जारी होने में दो वर्ष का समय लगना विकास को अवरुद्ध करता है. सुबेदार पासवान ने कहा कि इसके लिए निंदा प्रस्ताव लाना चाहिए. इन्होंने कहा कि 11वीं बैठक 24 अगस्त 2012 को हुई थी. क्रियान्वयन की जगह पर प्रक्रियाधीन लिखे जाने पर सीनेटरों ने आपत्ति दर्ज कराया है. डॉ सरिता श्रीवास्तव ने 2008 में नियुक्त शिक्षकों की प्रोन्नति के क्रियान्वयन में लिखे गये निर्णय पर आपत्ति की. इसी तरह सेवानिवृत्त कर्मचारियों को तत्काल पंेशन नहीं मिलने पर सीनेटरों ने आपत्ति दर्ज कराया. लंबी बहस के बाद सीनेटरों ने 11वीं बैठक के क्रियान्वयन को संपुष्ट नहीं करने का निर्णय लिया. कुलपति ने जवाब दिया कि जो भी त्रुटि हुई है उसे तीन माह के अंदर दूर कर लिया जायेगा. सदस्यों ने कहा कि अगली बैठक में 11वीं बैठक के क्रियान्वयन के एजेंडों को संपुष्टि के लिए रखा जायेगा. सिंडिकेट के निर्णय की संपुष्टि पर बहस : पिछले दो वर्ष में हुई सिंडिकेट की बैठक के निर्णय को डीएसडब्ल्यू डॉ मंजुला सांगा ने प्रस्तुत किया. इसकी संपुष्टि पर सुजीत कुमार भारती ने आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि केंद्रीय पुस्तकालय में परामर्शी लाइब्रेरियन की नियुक्ति करने का निर्णय लिया गया. जबकि विश्वविद्यालय एक्ट के तहत यह पद नहीं है. इस मुद्दे पर प्रतिकुलपति ने जवाब दिया कि सेंट्रल लाइब्रेरी का ऑटोमेशन चार करोड़ रुपये की लागत से होना है. जबकि इसकी देखरेख के लिए हमलोगों के पास कोई पदाधिकारी नहीं है. परामर्शी की नियुक्ति अनुबंध पर की जा रही है. इसी की देखरेख में ऑटोमेशन का कार्य होगा. पराशर्मी द्वारा विभावि के कर्मचारी प्रशिक्षित हो जायेंगे. तब बाहर से परामर्शी की जरूरत नहीं पड़ेगी. इस जवाब से सीनेटर संतुष्ट नहीं हुए. इन्होंने मांग रखा कि अपने-अपने कॉलेज से ही वरीय लाइब्रेरियन को पद दिया जाये. अंतत: कुलपति ने स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि सेंट्रल लाइब्रेरी को पूरी तरह से ऑटोमेशन किया जायेगा. विद्यार्थी कहीं भी बैठ कर पुस्तकालय में रखी गयी पुस्तकों को पढ़ सकेंगे. अभी पुस्तकालय की स्थिति इतनी बदतर है कि विद्यार्थी पुस्तकालय में पढ़ने नहीं आते हैं. मैं पुस्तकालय का दौरा कई बार किया हूं. यहां के कर्मचारी से पुस्तक मांगे जाने पर तीन दिनों तक पुस्तक मुझे खोज कर नहीं दे पाये. इस स्थिति में विद्यार्थियों को पुस्तकालय का समुचित लाभ कैसे मिल पायेगा. इसके ऑटो मेशन के लिए राशि है. मैं पुस्तकालय को आधुनिकता की ओर ले जाना चाहता हूं. सभी पुस्तकों में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगेंगे. यह पुस्तकालय अन्य केंद्रीय पुस्तकालयों से भी जुड़ा रहेगा. यहां के विद्यार्थी अन्य केंद्रीय पुस्तकालय के सामग्रियों का फायदा उठा सकेंगे. विद्वत पर्षद में लिये गये निर्णय को डॉ सी प्रसाद ने अनुमोदन के लिए रखा. सीनेट के सदस्यों ने सर्वसम्मति से इसे पारित कर दिया. वित्त समिति के निर्णय को सिंडिकेट सदस्य डॉ एसके सिन्हा ने अनुमोदन के लिए रखा. जिसे सदस्यों ने पारित किया. नोट : बॉक्स में लेना हैसंत कोलंबा कॉलेज को मिलेगा चार करोड़सीनेटर संजीव कुमार ने संत कोलंबा कॉलेज के जीर्णोद्धार के लिए चार करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव रखा. कुलपति ने जवाब दिया कि संत कोलंबा कॉलेज में भवन, प्रयोगशाला, पेयजल, पुस्तकालय समेत अन्य सुविधाओं के लिए यह राशि आवश्यक रूप से दी जायेगी. संजीव कुमार ने प्राइवेट बीएड कॉलेज एनसीटीइ के शर्तों का पालन करते हैं यह नहीं इस पर कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा गठित निरीक्षण दल सख्ती से पालन करेगी. निरीक्षण के समय सीनेट सदस्यों को रखा जायेगा. साथ ही निरीक्षण रिपोर्ट सीनेट सदस्यों को उपलब्ध करवाया जायेगा. नामांकन का सच आया सामने : सीनेट की 12वीं बैठक में स्नातक में विषय वार सीट निर्धारण के प्रस्ताव पर लंबी बहस चली. प्राचार्य डॉ अली इमाम खान ने बताया कि स्नातक स्तर पर विषय वार सीट निर्धारित है. लेकिन इसे लागू नहीं किया जा रहा है. प्रतिकुलपति ने जवाब में कहा कि सीट निर्धारित करने से समाज का बहुत बड़ा वर्ग नामांकन से वंचित रह जायेगा. विद्यार्थियों का पलायन होगा. कॉलेजों में आधारभूत संरचना नहीं है. शिक्षकों की कमी है. बावजूद विद्यार्थियों का नामांकन लेना पड़ता है. पूर्व कुलपति प्रो एमएल दास ने कहा कि जितना नामांकन होता है उतने विद्यार्थी यदि कॉलेजों में पहुंचने लगे तो उन्हें बैठाने की व्यवस्था नहीं हो पायेगी. डॉ सरिता श्रीवास्तव ने कहा कि एसएसएलएनटी कॉलेज में भौतिकी में दो सौ नामांकन है. इस भौतिकी विभाग में मात्र एक शिक्षक हैं. पोस्ट सेंक्शन होना चाहिए. इन्होंने कहा कि कई कॉलेजों में विभाग में एक भी शिक्षक नहीं है. विद्यार्थियों का नामांकन जरूरत से ज्यादा है. फिर भी ये विद्यार्थी परीक्षा में उत्तीर्ण हो जा रहे हैं. डॉ ओपी महतो ने कहा कि धनबाद क्षेत्र में मात्र दो कॉलेजों में भूगोल की पढ़ाई होती है. जहां भूगोल की पढ़ाई होती है वहां ज्यादा नामांकन हो जाता है.
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विभावि… तीन माह में पूरा होगा पूर्व सीनेट का निर्णय
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