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पालकोट में है सुग्रीव गुफा व ऋष्यमुख पर्वत
गुमला : पालकोट प्रखंड का प्राचीन नाम पंपापुर है. यह धार्मिक के अलावा पर्यटन स्थल भी है. पालकोट पौराणिक, धार्मिक व ऐतिहासिक धरोहरों का जीता जागता उदाहरण है. प्राचीन ऋष्यमुख पर्वत है. आज भी यह साक्षात है. उमड़ा गांव में एक पहाड़ है. जिसका संबंध प्राचीन किश्किंधा से है. मलमली गुफा है. जहां राजा बलि […]
गुमला : पालकोट प्रखंड का प्राचीन नाम पंपापुर है. यह धार्मिक के अलावा पर्यटन स्थल भी है. पालकोट पौराणिक, धार्मिक व ऐतिहासिक धरोहरों का जीता जागता उदाहरण है. प्राचीन ऋष्यमुख पर्वत है. आज भी यह साक्षात है. उमड़ा गांव में एक पहाड़ है. जिसका संबंध प्राचीन किश्किंधा से है. मलमली गुफा है. जहां राजा बलि के डर से सुग्रीव छिप कर रहते थे.
यह गुफा आज भी रामायण युग की कहानी कह रहा है. वर्तमान में गुफा काफी संकरी हो गयी है. पर आज भी यह सुग्रीव गुफा के नाम से विश्वप्रसिद्ध है. यहां कई प्राचीन धरोहर व रामायण युग के अवशेष हैं. गुमला व सिमडेगा मार्ग में पड़ने के कारण यह इलाका बिहार, ओड़िशा, छत्तीसगढ़, पश्चिमबंगाल व झारखंड राज्य का प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है. यह नागवंशी राजाओं का भी गढ़ था. इसके प्रमाण खंडहरनुमा भवन व अवशेष हैं.
पालकोट में क्या देंखे : मां दशभुजी महारानी मंदिर, मां पंपा भवानी पर्वत शिक्षर, बाबा बूढ़ा महादेव मंदिर, बाघलता भवानी, बनजारिन देवी, बेंगपाट, शीतलपुर, मलमलपुर, पवित्र निर्झर, घोड़लत्ता, हनुमान मंडा, केवड़ा लत्ता, गोपाल साईं मंडा, नवरत्न मंडा, गोबरसिल्ली, राकस टंगरा, मड़वालत्ता, मुनीडेरा, राकस टुकू, पंपा सरोवर, सुग्रीव टुकू, शबरी गुफा, लालगढ़, शेष नाग, योगी टोंगरी, मंतगमुनी का शंख, तरंगन गढ़ा, दलदली पोखर, त्रिवेणी देवराहा बाबा, कौरव पांडव पहाड़, देवगांव व सैंकड़ो काजू के पेड़ हैं.
कैसे जायें और कहां ठहरें : पालकोट गुमला से 25 किमी, रांची से 100 व सिमडेगा जिला से 55 किमी दूर है. यह नेशनल हाइवे से एक किमी दूर है. यहां सुबह आठ से शाम पांच बजे तक पूरे परिवार के साथ पिकनिक मना सकते हैं. सुबह छह से रात सात बजे तक बस व दर्जनों छोटी बड़ी गाड़ियां चलतीं हैं. पिकनिक स्पॉट के समीप घनी आबादी वाला गांव है. यहां होटल है. लेकिन सिर्फ खानपान के लिए है. दूसरे जिले के लोग अगर यहां आते हैं, तो गुमला शहर में ठहरने के लिए होटल है. टेंपो, बोलेरो व अन्य गाड़ी से यहां जा सकते हैं.
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