उत्क्रमित मवि बिर्री की जमीन पर कब्जे की शिकायत की

सीओ, एसडीओ ने नहीं की पहल, डीसी से शिकायत आवेदन देकर जमीन को अतिक्रमणमुक्त कराने की मांग गुमला : डुमरी प्रखंड अंतर्गत बिर्री गांव की जिस जमीन पर वर्ष 1961 में विद्यालय (वर्तमान में राजकीयकृत उत्क्रमित मध्य विद्यालय बिर्री डुमरी टू) प्रारंभ हुआ था. उस जमीन पर गांव के एक व्यक्ति द्वारा अवैध रूप से […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 19, 2019 12:47 AM

सीओ, एसडीओ ने नहीं की पहल, डीसी से शिकायत

आवेदन देकर जमीन को अतिक्रमणमुक्त कराने की मांग
गुमला : डुमरी प्रखंड अंतर्गत बिर्री गांव की जिस जमीन पर वर्ष 1961 में विद्यालय (वर्तमान में राजकीयकृत उत्क्रमित मध्य विद्यालय बिर्री डुमरी टू) प्रारंभ हुआ था. उस जमीन पर गांव के एक व्यक्ति द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर मकान बनाया जा रहा है. इससे पूर्व भी कुछ लोग जमीन के कुछ हिस्से पर अवैध रूप से कब्जा कर चुके हैं. गांव के लोगों ने इसका विरोध किया है.
ग्रामीणों ने सोमवार को उपायुक्त को आवेदन सौंपा है और जमीन को अतिक्रमणमुक्त कराने की मांग की है. इस मांग को लेकर ग्रामीण समाजसेवी सुनील केरकेट्टा के नेतृत्व में उपायुक्त के पास पहुंचे थे, जहां प्रभा टोप्पो, नंगीता किस्पोट्टा, भलेरिया मिंज, मरियम किस्पोट्टा, शैलेंद्र लकड़ा, फिरोज कुजूर, फुलजेंस बाड़ा, त्योफिल किस्पोट्टा, नजारियुस मिंज, जोस मिंज, किशोर मिंज सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि बिर्री गांव के खाता संख्या 54 व प्लॉट संख्या 420 में रकबा 1.80 एकड़ जमीन पर वर्ष 1961 में विद्यालय प्रारंभ हुआ था.
कालातांर में विद्यालय का सरकारीकरण हुआ और उसी जमीन पर विद्यालय का अपना पक्का भवन बना, जिसमें बिर्री सहित आसपास के गांवों के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. वर्तमान में विद्यालय में लगभग 150 बच्चे अध्ययनरत हैं. परंतु इधर, गांव का एक व्यक्ति उक्त जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर मकान बनवा रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि स्थानीय प्रशासन को धन बल के प्रभाव में लेकर जबरन लाठी के जोर पर मकान बनवा रहा है.
ग्रामीणों ने बताया कि इससे पूर्व डुमरी अंचल के सीओ व चैनपुर अनुमंडल के एसडीओ को भी आवेदन देकर विद्यालय की जमीन को अतिक्रमणमुक्त कराने की मांग की है, परंतु, समस्या के निराकरण को लेकर अब तक उनकी ओर से कोई पहल तक नहीं की गयी है. ग्रामीणों ने बताया कि उसी जमीन पर एक आंगनबाड़ी केंद्र भी संचालित है. यदि ऐसे ही लोग उस जमीन पर कब्जा करते रहे, तो भविष्य में विद्यालय की जमीन बचेगा ही नहीं.

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